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प्रस्तुत अंक के सम्बन्ध में
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भगवान् महावीर के २५०० वें निर्वाण महोत्सव समारोह के सन्दर्भ में विक्रम विश्वविद्यालय ने अपने श्रद्धामय भावमेघ की वृष्टि जिस रूप में की, उसका मूर्तरूप यह 'विशेषांक' है। विज्ञान विनिर्मित वर्तमान सन्दर्भ में भौतिक सत्ता पर चेतना के सर्वाधिक संकेन्द्रण ने विश्व को हिंसा और परिग्रह के ध्वंसगामी कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है - ऐसे उद्वेजक क्षण में अहिंसा और अपरिग्रह की प्रतिमूर्ति की ओर अनायास प्रतप्त विश्वमानस का झुक जाना सहज सम्भव है, श्रद्धांजलि नैसर्गिक समुच्छलन है ।
विशेषांक अपने विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुमन को 'आकांशिका' तथा भारत और विश्वविश्रत चिन्तकों के वैदुष्यपूर्ण निबन्धों से स्तरीय गरिमा प्राप्त कर सका है। मैं इस अवसर पर उन सभी सुधीजनों के प्रति कृतज्ञता समर्पित करता हूँ जिनके हार्दिक और वैचारिक सहयोग तथा सत्प्रयास से पूत संकल्प साकार हो सका है ।
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डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी प्रबन्ध सम्पादक
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