________________
जैन दर्शन का त्रिविध साधना मार्ग
उद्धरण
१. तत्वार्थ सूत्र १११ २. उत्तराध्ययन सूत्र २८१२ ३. सुत्तनिपात्त २८।८ ४. गीता ४।३४, ४१३६ ५. Psychology and Morals P. 180 ६. उत्तराध्ययन २८।३० ७. Some problems of Jain Psychology P. 32 ८. अभिघान राजेन्द्र खण्ड ५ पृ. २४२५
६. तत्वार्थ ११२, उत्तराध्ययन २८१३५ १०. सामायिक सूत्र - सम्यक्त्व पाठ ११. जैन धर्म का प्राण पृ. २४ १२. सूत्रकृतांग १।१२।२३ १३, समयसार टीका १३२ १४, देखिये - समय सार ३६२-४०७
नियमसार ७५-८१ तुलनीय संयुक्तनिकाय ३४।१।१।१-१२ १५. प्रवचनसार ११७, पंचास्तिकायसार १०७
उत्तराध्ययन २८।३० १७. तत्वार्थ सूत्र ११ १८. दर्शन पाहुड २ १६. उत्तराध्ययन सूत्र २८।३५ २०. उत्तराध्ययन २३१३५ २१. सुत्तनिपात १०१२ २२. सुत्तनिपात १०१६, तुलनीय गीता ४।३६ २३. संयुक्तनिकाय १।११५६ २४. संयुक्तनिकाय ४।४११८ २५. विसुद्धिभग्ग ४।४७ २६. भक्तपरिज्ञा ६५-६६ २७. प्राचारांग नियुक्ति २२१ २८. दशवकालिक ४११२ २६. उत्तराध्ययन २८।३०
समयसार टीका १५३ तुलनीय गीता शांकरभाष्य अध्याय ५ की पीठिका ३१. सूत्रकृतांग २०१७ ३२. उत्तराध्ययन ६।६-११
an
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org