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________________ हितैषी-औषधालय-इटावहकी पवित्र-सस्ती-औषधियाँ। नमक सुलेमानी। दवा सफेद दागोंकी। जगत्प्रसिद्ध असली २० वर्षका आजमदा हा- इससे शरीरमें जो सफेद २ दाग पड़जाते जमेकी अक्सीर दवा । की० ॥) तीन हैं वह दूर हो जाते हैं । की० १) सी० १) श्वास-कुठार। धातु संजीवन । यह स्वास दमें की शर्तिया दवा है । की० १) संपूर्ण धातु विकारको नष्ट कर नया वीर्य गोली दस्तबंदकी। पैदा होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट होजाता है । की०१) रक्त, आम, आदि अतिसार तथा संग्रहणी प्रदरान्तक-चूर्ण। आदिको शीघ्र दूर करती है । की० ॥) दवा खांसीकी। स्त्रियोंके श्वेत, लाल आदि प्रदरोंको शर्तिया सूखी या तर खांसीको और कफको दूर कघर कर ताकत बढ़ाता और गर्भस्थिति करता है रने वाली आजमदा दवा है । की०॥) की०१). ... नयनामृत-सुरमा। अर्क कपूर। । हैजेकी अक्सीर दवा । की.) . - सम्पूर्ण विकारोंको दूरकर नेत्रोंकी ज्योति । १० बढ़ाता और तरावट पैदा करता है । की. १) " . चंद्रकला । - यह गोरे व खूबसूरतीकी दवा है। की० ॥); ___ दन्त-कुसुमाकर। दाँतोंके सब रोग दूर होकर दांतोंकी चमक नैन-सुधा-अञ्जन । बढ़ाता और मजबूत करता है । की०) इससे आँखका जाला धुन्ध फुली माड़ा आदि ___ सब अच्छे होते हैं । की० ॥) दद्रु-दमन । दवा पेटके दर्दकी। यह खुशबूदार मरहम विना कष्टके दादके दादाको तगादा कर भगाती है । की।) .. चाहे कैसा पेट दर्द हो फौरन दूर होता है । ____ की० ॥) केश-बिहार-तैल। ताम्बूल रंजन । अत्यन्त सुगन्धिसे चित्त प्रसन्न कर केश और पानके साथ खानेका बढ़िया मसाला । की।). मस्तकके रोगोंको दूर करता है । की० ॥) शिरदर्द-हर तैल । की०।) नारायण-तैल। कर्ण-रोग-हर तैल । की।) शरदी आदिसे उत्पन्न हुए दर्द, गठिया, प- खुजली-नाशक तैल । की।) क्षाघात आदि सर्व वात रोगोंकी शर्तिया दवा बाल उड़ानेका साबुन । की०।) हैं। की० १) कोकिल-कण्ठ-बटिका । की०१) पता-चन्द्रसेन जैन वैद्य, चन्द्राश्रम, इटावह U. P..
SR No.522838
Book TitleJain Hiteshi 1917 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1917
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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