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अङ्क ९-१० ]
वृद्धविवाह, कन्याविक्रय और धनकां दासत्व भी अधिक पुरुषोंके अविवाहित रहनेके कारण हैं । इनके कारण अयोग्यों और धनि योंके तो अनेक विवाह हो जाते हैं, पर बहुतसे सुयोग्यों और निर्धनोंका एक भी नहीं होने पाता । धनके लोभसे लोग स्त्रियोंके असली सुख सुयोग्य पति' के महत्त्वको भूल गये हैं ।
(
जाति युक्त
प्रान्त
खंडेलवाल
अग्रवाल जैसवार
परवार
पद्मावती परवार
पल्लवाल
गोलालारे
विनैकया
ओसवाल
गंगेरवाल
बडेले
वैरेया
फतहपुरिया पोरबाढ
बुड़ेले
लोहिया
गोलसिंघारे
खरौआ
लमेच
गोलापूरव
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३७५२
२०९५
जैनसमाजके क्षयरोग पर एक दृष्टि ।
३५६२ १२९३ ५३१३२
२७६५२.
३९३ १३५०३ ३३०० ८६ ५९१२ ९५४५ २३५'१९ ९६८१
८७४४
१४६ २२९७
५७
४२२
१५६२
४२२
१२२
६
१८
१३६
१६.
५९.
१३५
१२५
५५८
५५०
३२९
९८०
१६२२
७१८
राज
सी. पी. पूताना
मालवा
१९००
३२२५
०
६३६.
०
२४
०
२१८ |
९४७६
१५१२
०
०
५२
२५८
७२०
१००
३७६
इस कोष्टकमें पाठक देखेंगे कि, युक्त प्रान्तमें गंगेरवाल, बड़ेले, बरैया, पोरबाल आदि कितनी ही जैन जातियाँ ऐसी हैं जिनकी संख्या ५०० से कम है और जो समग्र भारतमें भी १००० से. कम हैं । दिगम्बर जैन डायरेक्टरीसे विदित होता है, केवल दिगम्बर सम्प्रदायमें जातियाँ ऐसी हैं; जिनकी जनसंख्या ५०० से कम है; १२ ऐसी हैं, जिनकी संख्या ५०० से १००० तक है; २० ऐसी हैं, जिनकी १०००
४१
४५१
८ जैनसमाज में छोटी छोटी जाति-. योंका होना और अपनी जातिके अतिरिक्त अन्य जातियां के साथ ब्याह न करना । जैनसमाजमें ऐसी बहुत सी जातियाँ हैं, जिनकी जनसंख्या ५०० से भी कम है । नीचे लिखे कोष्टकको देखिए । यह ' दिगम्बर जैन डिरेक्टरी' से उद्धृत किया गया है:
पंजाब बम्बई
६१६ ४८१४
२३३४६ ५९६
२०३ १०५८
१० १८८
३५३ १२
०
१७९
०
३८३
बंगाल मुद्रास विहार | मैसूर
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१३०८
१७३१
३२१
१३४
३०
११
२०
१३
कुल
१
६४७२६
O ६७१२१
११५ ११०८९
५९ ४१९९६
९ ११५९१
४२७२
५५८२
३६०५.
७०२
७७२.
१६
१५८४
१३५
१२५
५६६
६०२
६२९
१७५०
१९७७
१०६४०
से ५००० तक है और १२ जातियाँ ऐसी हैं, जिनकी संख्या ५००० से अधिक है । इनके अतिरिक्त ऐसी भी कई जातियाँ हैं, जिनकी संख्या २० से लेकर २०० तकके बीच में है । ऐसी जातियाँ बड़े बेगसे कम हो रही हैं । ये दश वर्षमें आधी या एकतिहाई हो जाती हैं । कुछ जातियोंका पता सरकारी रिपोर्टसे उद्धृत किये हुए नीचे लिखे कोष्टक से लगेगा:
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