SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुस्तक-परिचय। ३७१ १७ सत्याग्रहका इतिहास । इस ढंगसे परिचय कराया गया हो । इसके लेखक,श्रीयुत भवानीदयालजी नेटाल (आफ्रिका) लिए लेखक महाशय धन्यवादके पात्र हैं। अच्छा और प्रकाशक, वाबू द्वारकाप्रसादजी सम्पादक नवजी- हो यदि आप इसी प्रकार उर्दूके अन्यान्य कविवन, इन्दौर केम्प । मूल्य डेढ़ रुपया । दक्षिण आफ्रि- योंका भी हिन्दीके पाठकोंको परिचय करा दें। काके भारतवासियोंके कष्टोंको दूर करनेके लिए महा- लेखक उर्दू फारसीके पण्डित हैं । इस लिए उन्होंने त्मा गाँधीने जो सत्याग्रह या निःशस्त्रप्रतीकार शुरू उर्दू फारसीके ऐसे बहुतसे शब्दोंका अर्थ बतलानेकिया था, उसका प्रारंभसे लेकर अबतकका इति. की जरूरत नहीं समझी है. विशेष करके पार हास इस पुस्तकमें लिखा गया है । बड़ी भारी २८ पृष्ठोंमें-जिन्हें हम जैसे उर्दूफारसी-शून्य विशेषता यह है कि इस इतिहाससे सम्बन्ध रखने- लोग बिलकुल ही नहीं समझ सकते हैं। आशा वाले सैकड़ों स्त्रीपुरुषों के चित्र-जिनकी संख्या ६० है पण्डितजी अपने आगामी निबन्धोंके लिखते के लगभग है-इस पुस्तकमें दे दिये गये हैं और यह समय इस ओर ध्यान देंगे । काव्यमर्मज्ञोंको यह बड़े भारी अर्थव्ययका काम है । प्रत्येक भारतवासी- पुस्तक अवश्य पढ़ना चाहिए । को यह पुस्तक पढ़ना चाहिए और विदेशोंमें अपने १९ कुमार देवेन्द्रप्रसादजीकी पुस्तकें। भारत भाईयोंकी जो दुर्दशा होती है उससे परिचित १ सेवाधर्म, २ न्यायावतार, ३ Jainism होना चाहिए । पुस्तककी छपाई अच्छी है, परन्तु not Atheism and The six Dravyas of बँधाई इतनी खराब है कि पुस्तक पूरी भी नहीं पढ़ी Jain Philosophy, ४ विश्वतत्त्व और ५ जाती है और पत्र अलग अलग हो जाते हैं । ऐसी सार्वधर्म । पहली पुस्तक प्रेमोपहारसीरीजका प्रथम अच्छी पुस्तककी यह त्रुटि बहुत खटकती है। पुष्प है । छोटीसी ६४ पृष्ठ ( डबल क्राउन ३२ १८ महाकवि गालिब और उनका पेजी) की पुस्तक है। मूल्य वगैरह कुछ लिखा उर्दू काव्य। नहीं । विश्वसेवाके सम्बन्धमें बहुत अच्छे अच्छे लेखक, पं० ज्वालादत्त शर्मा और प्रकाशक, विचार संग्रह किये गये हैं जो हृदयमें लिख रखने हरिदास एण्ड कम्पनी, कलकत्ता । पृष्ठसंख्या योग्य हैं । दूसरी पुस्तकमें आचार्य सिद्धसेन १.२ । मूल्य पाँच आने । उर्दूका पद्य-साहित्य दिवाकरका मूल न्यायावतार-जिसमें कि केवल ३२ बहुत बढ़ा चढ़ा है। उसे उत्तमोत्तम रचनाओंसे श्लोक हैं-उसका महामहोपाध्याय डा० सतीशचन्द्र पुष्ट करनेवाले कई नामी कवि हो गये हैं । मिर्जा विद्याभूषण एम. ए. का किया हुआ अँगरेजी अर्थ गालिब भी उनमेंसे एक है । संस्कृत साहित्यमें जो और संभवतः चन्द्रप्रभसूरिकृत संस्कृत टीका स्थान माघका है, वही उमें गालिबका है। फारसी- (न्यायावतारविवृत्तिः ) है । प्रारंभमें अँगरेजी के तो आप महाकवि थे। ईस्वी सन् १८६९ में भूमिका है । न्यायावतार बहुत ही महत्वका और आपकी मृत्यु हुई । इस पुस्तकमें लेखक महाशयने प्रसिद्ध ग्रन्थ है। विद्याभूषण महाशय इसे सबसे आपका और आपकी रचनाकी खूबियोंका पहला जैनन्यायग्रन्थ बतलाते हैं। इसके एक दिग्दर्शन कराया है और अन्तके लगभग ४० श्लोक पर हम अपने समाजके पण्डितोंका ध्यान पृष्ठोंमें आपका उर्दू काव्य हिन्दीअनुवादसहित आकर्षित करते हैं:दे दिया है । हिन्दीमें शायद यह पहली आप्तोपनमनुलंध्यमद्दष्टेष्टविरोधकम् । पुस्तक है जिसमें दूसरी भाषाके किसी कविका तत्त्वोपदेशकृत सार्व शास्त्रं कापथघट्टनम्९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522827
Book TitleJain Hiteshi 1916 Ank 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1916
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy