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________________ TADARADARIA AEWATER AHININNAMENT HTMLECRPATTHARE ९ जैन लेखक और पंचतंत्र । UNT N S EWANATANE ENTENAME INDIANEWANDIANTA RTING TENANTETWENTATION सन् १८५९ ईसवी में प्रसिद्ध जर्मन अध्यापक कि बैनफेकी कई अत्यन्त महत्त्वपूर्ण खोजोंको थीओडोर बैनफेने पंचतंत्रका अनुवाद प्रका- निरर्थक समझकर फेंक दिया । शित किया। इस अनुवादके प्रकाशित होते ही बैनफेकी प्रधान खोज यह थी कि बहुत साहित्यकी खोजमें एक नवीन युगका प्रारंभ हो सी यूरोपीय आख्यायिकाओं और अनेक कहागया । उस समय पंचतंत्रकी छपी हुई केवल एक ही आवृत्ति उपलब्ध थी। चूँकि बैनफे एक सच्चे नियोंका निकास भारतवर्षसे हुआ है। इस विद्वान थे इस लिए उन्हें केवल उसी आवृत्ति खोजके प्रतिवादियोंमेंसे जहाँ तक मुझे मालूम का अनुवाद कर देनेसे संतोष न हुआ; किन्तु है केवल एक विद्वान ही ऐसा है जो संस्कृत जानता है। परन्तु यह विद्वान, जिसने एक उन्हें जितनी हस्तलिखित प्रतियाँ मिल सकी वे छोटी सी पुस्तक अन्य साहित्यों पर भारतीयसब उन्होंने इकट्रीं की। दुर्भाग्यवश इन प्रतियों ". कहानियोंके प्रभावके विषयमें लिखी है, भारकी संख्या थोड़ी ही थी। उन्होंने अपनी पुस्तकमें तीय कहानियोंके जो थोड़ेसे छपे हुए संग्रह एक प्रस्तावना भी लिखी, जिसने यह दिखला दिया कि सभ्य संसार पर भारतीय कथा-साहि उपलब्ध हैं उनमेंसे कुछसे ही परिचित है; त्यका कितना बडा प्रभाव पड़ा है। उसको भारतवर्षके उस विपुल कथा-साहित्यफ्रांसीसी विद्वान् सिलवेस्टे डी सेसी, जो की कुछ भी खबर नहीं है जो अभी तक "कलेलह-दमनह" की अरबी आवृत्तिके प्रथम प्रकाशित नहीं हुआ और केवल हस्तलिखित ग्रंथों में ही मिलता है। सच पूछो तो उसने संपादक थे, उन पथप्रदर्शकोंमें हो गये हैं जो केवल यही साबित किया है कि वह जिस विषय समय समय पर प्रकट होते हैं और साहित्यकी १ खोजमें भावी संततिके लिए नये मार्ग ढूंढ पर लिख रहा है उससे अनभिज्ञ है । परन्त निकालते हैं । इस विद्वान्के बाद बैनफेका ही तुलनात्मक कथा-साहित्यमें जो विद्वान् अत्यन्त नम्बर है; परन्तु बैनफेको जो सामग्री उपलब्ध प्रवीण हैं-यद्यपि वे भारतीय भाषाओंसे अनहुई वह बहुत थोड़ी थी, इस लिए अपने अध्यय- भिज्ञ हैं-बैनफेके विरोधी नहीं हैं । जुहानीज नसे जो परिणाम उन्होंने निकाले उनमें त्रुटियों- बोलट्रेको, इमैन्युएल कौसकिनको, और विक्टर से बचना असंभव था । उनकी पुस्तककी इन चौविनको, जिनका देहान्त हुए कुछ ही महीने चरियोंको और महत्त्वपूर्ण परिणामोंको पहले हुए हैं और जिन की मृत्युसे रैनहोल्ड कोहलर पहल विद्वानोंने ऐसा सत्य समझ लिया कि उन्हें और फेलिक्सली बेचकी मृत्युके समान साहित्यउन बातोमें किञ्चित् भी संदेह न रहा। कुछ सम- संसारको बड़ा भारी धक्का पहुँचा है, इस बातमें यके बाद लोगोंको संदेह होने लगा। बैनफेकी कभी संदेह न हुआ कि उत्तरी और पश्चिमी कई दलीलोंकी कमजोरी लोगोंकी समझमें आने एशिया, आफ्रिका और यूरोपकी जातियोंमें जो लगी और कुछ विद्वानोंने इतना साहस किया आख्यायिकायें और दूसरी तरहकी कहानियाँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522826
Book TitleJain Hiteshi 1916 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1916
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size6 MB
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