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CRIMILAIMIMARATHI
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जैनहितैषी
एक लेखकी आवश्यकता समझी गई और तद्- करता । साथही मैं इस प्रकारकी अस्वाभाविक नुसार यह लेख सम्पादक महाशमकी प्रेर- इच्छा भी नहीं रखता कि मेरे विचारोंको सब णासे लिखा गया । इसके सम्बन्धमें कोई मान ही लेंगे। मैं सिर्फ यह चाहता हूँ कि मैं यह प्रकट कर देना चाहता हूँ कि मैं किसी मेरे विचारोंको पाठक अच्छी तरहसे सुनें और पंथ या फिरकेका नहीं किन्तु सत्यका अनुयायी समझें मानना न मानना उनकी मर्जी पर है।। हूँ। सुधारकोंकी किसी सभा सुसाइटीका मैं मैं इस प्रकारकी मूर्खतापूर्ण आशा कदापि मेम्बर नहीं। वर्तमानमें जिन्हें लोग सुधारक नहीं रखता कि मेरे या किसीके एक लेख कहते हैं उनका भक्त या अनुगामी भी मैं नहीं मात्रसे समाजसुधार हो जायगा । समाज हूँ । मेरी समझमें इन सुधारकोंकी बुद्धिमें में विचारवातावरण फैले, बुद्धिपूर्वक विचार गहराई और हृदयमें शुद्धभाव बहुत ही कम करनेकी शक्ति बढ़े, सिर्फ यही मेरा लक्ष्य होता है । मैं अपने अनुभवसे अभ्याससे, और बिन्दु है । इस लेखका शेषभाग आगेके अंकमें सदसद्विवेक बुद्धिसे सत्यके जिस अंशको पाता पूरा किया जायगा । तब तक पाठकोंको चाहिए हूँ, अथवा मुझे जो कुछ सत्य मालूम होता है कि वे चित्रका शेष भाग-विशेषकर नीचेका उसे स्पष्ट शब्दोंमें प्रकट कर देता हूँ। मेरे भाग क्या सूचित करता है, इसका अपने स्वतंत्र विचार किसीकी समझमें आवें या न आवे, प्रयत्नसे विचार करें और अपने बुद्धिबलको अच्छे लगे या न लगें, इसकी मैं परवा नहीं बढ़ावें ।
-लेखक।
नये वर्षका निवेदन ।
इस अंकके साथ जैनहितैषीका नया वर्ष शुरू पाठक प्रसन्न होंगे और वे इसे जैनसमाजके होता है। पूर्व सूचनाके अनुसार इसके आकार- गौरवका कार्य समझकर हमारी यथेष्ट सहायता प्रकारमें बहुत सा परिवर्तन किया गया है। करेंगे । हमको आशा है कि इस वर्ष कुछ आशा है कि पाठकगण इस परिवर्तनको पसन्द अधिक ग्राहक मिल जायेंगे और उनसे हमारा करेंगे और इसे स्थायी बनाये रखनेके लिए काम चल जायगा । यदि हितैषीका ख़र्च ही हमारा हाथ बँटाते रहेंगे।
उसके ग्राहकोंसे चल गया, अथवा अधिकसे
अधिक सौ दो सौका घाटा भी रह गया (क्यों हितैषीकी ग्राहकसंख्या इतनी कम है कि कि इससे अधिक घाटा उठानेकी हमारी शक्ति उसके भरोसे-ऐसे समयमें जब कि कागज़ नहीं है ) तो यह हमारे संतोषके लिए यथेष्ट स्याही आदिके चार्ज खूब बढ़ रहे हैं-यह परि- है। इतनेहीसे हम इसके वर्तमान आकारको वर्तन हम कदापि नहीं कर सकते यदि हमें स्थायी कर देंगे। यह विश्वास न होता कि इस आकार-प्रकारसे
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