________________
AAImmmmmmmmam
जैनहितेषी
मा०-यह तो ठीक परन्तु यह बताओ लड़के दोनों ओरसे खींचते हैं, परन्तु जब कि ऊपरकी ओर उठानेके लिए कितने तक बल बराबर होता है वह नहीं खिसकता बलकी आवश्यकता है?
और बहुत अधिक बल लगाने पर कुछ खिवि०-यह तो मैं क्या जानूँ ? सकता है।
मा०-इतना तो बतला सकते होकि यदि मा०-इसही प्रकार जब तक तुम ऊपरकिसी वस्तुको ऊपर उठावें तब अधिक बलकी की ओर इतना बल लगाओ जो नीचेकी आवश्यकता होगी अथवा जब उसे समतल ओरके बलसे कम हो तब तक तो वह वस्तु पत्थरपर रखकर खिसकावें ?
हिल नहीं सकती। हाँ, जब उससे अधिक वि०-उपर उठानेमें अवश्य अधिक बल बल लगाओ तब निःसन्देह उठ सकती है। लगेगा, क्योंकि एक मन भारको मैं उठा तो वि०-परन्तु यह तो बताइए कि नीचे नहीं सकता किन्तु खिसका अवश्य सकता हूँ। कौन बल लगा रहा है ?
मा०-जब पदार्थ वही है और उतनाही मा०-जब इतना समझे हो कि वस्तु पर है फिर एक दिशामें बल लगानेसे खिसके नीचेकी ओर बल लग रहा है तो पैंसिलका और एकमें नहीं, इसका क्या कारण ? नीचे गिर पड़ना क्या आश्चर्यकी बात है ? वि०-मैं तो कुछ नहीं जानता। हाँ, अब यह प्रश्न अवश्य है कि बल कौन
मा०-अच्छा यही बतलाओ कि यदि लगा रहा है । क्या तुमनें चुम्बक देखा है ? दो सेर भारको ऊपर उठाकर हाथमें रक्खे वि०-हाँ, आपने उस दिन दिखलाया रहो तो तुम्हें बल लगाना पड़ता है या नहीं? था। वह सुईको अपनी ओर खींच लेता है।
वि०-बल न लगावें, तो नीचे न मा०-अर्थात् सुई पर वह अपनी ओर गिर पड़े ?
बल लगाता है। मा०-तो बल लगानेपर भी वस्त एक वि०-अवश्य-नहीं तो सुई अपने स्थानस्थानपर स्थित रह सकती है ? बल लगानेसे से हिलती ही क्यों ? तो उसे जिधर बल लग रहा है उसही मा०-क्या चुम्बकमें और सुईमें किसी दिशामें खिसकना चाहिए। तुम ऊपरकी ओर तार, तागे इत्यादिसे कुछ सम्बंध था ? बल लगा रहे हो परन्तु वह खिसकती नहीं, वि०-नहीं, वे तो सर्वथा पृथक् थे। इससे यही स्पष्ट होता है कि नीचेकी ओर चुम्बककी आकर्षणशक्ति ही सुईको खींच भी बल लग रहा होगा।
लेती थी। वि०-हाँ, यह बात तो ठीक जान पड़ती मा०-फिर यदि इस वस्तु पर नीचेकी है। यहाँ जब रस्सा खिचवाया जाता है तब ओर बल लगता है अथवा यह नीचेकी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org