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जैनहितैषी
होती है। हिन्दीमें अपने ढंगका यह एक ही पत्र है, पर इसका बहिरंग आकर्षक नहीं है। छपाई सफाईमें उन्नति करनेकी आवश्यकता है।
चुटकुले । लेखक, श्रीयुत शर्मा । प्रकाशक, एंग्लो ओरियंटल प्रेस, लखनऊ । मूल्य पाँच आने । अच्छी पुस्तक है । इसमें २०५ चुटकुलोंका संग्रह है। चुटकुले केवल हँसानेवाले या जी खुश करनेवाले ही नहीं हैं, उनमें अच्छी अच्छी शिक्षायें भी भरी हुई हैं। असभ्यता या अश्लीलताकी इसमें गन्ध भी नहीं है जिसके लिए मनोविनोदकी पुस्तकें बदनाम हैं । सामाजिक सुधारके उद्देश्यमे कहीं कहीं कटाक्ष भी किये गये हैं जो विशेष उग्र नहीं हैं। चुटकुलोंमें बड़ी भारी विशेषता यह है कि वे प्रायः लेखकके निजके हैं
और बीरबलविनोद आदिसे उड़ाये हुए नहीं हैं । ये सब पहले नागरीप्रचारक और अवधवासीमें छप चुके थे, अब पुस्तकाकार प्रकाशित किये गये हैं । विनोदप्रिय पाठकोंको इस पुस्तकका संग्रह अवश्य करना चाहिए।
उत्तररामचरित नाटक । अनुवादक, पं० सत्यनारायण शर्मा, कविरत्न । प्रकाशक, भारतीभवन, फीरोजाबाद (आगरा)। मूल्य बारह आने । संस्कृतसाहित्यमें महाकवि भवभूति अपनी कीर्ति अमर कर गये हैं। कालिदासके बाद काव्यरचनामें भवभूतिका ही नाम लिया जाता है । उनका उत्तररामचरित बहुत ही प्रसिद्ध नाटक है। यह पुरुषोत्तम रामचन्द्रनीके राज्यारूढं होनेके बादके कथानकको लेकर रचा गया है। इसमें करुणरसकी प्रधानता है।
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