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शंबला.
क्षत्रियसुत कैसे होते हैं,
रणमें यह दिखलाऊँगा।
नृप रावणके सब रिपुओंको,
दल मल मार भगाऊँगा । अपना अपने कुलका मौरव, ... जगमें पूर्ण जमाऊँगा ॥
(६५) ऐसे विनती कर आज्ञा ले,
सजा सैन्य चढ़ चला कुमार । मूर्तिमान जा रहा वीररस,
.. मानों लिए ढाल तलबार ॥
लेकर मंगल द्रव्य मनोरम,
पतिव्रता सन्मुख आई। सती अंजना, पर वह पतिसे,
तिरस्कार भारी पाई-॥
(६७) चली गई दुखिया महलोंमें,
___ व्याकुल करने लगी विचार। देखें जय पाकर आते हैं,
कब तक मेरे प्राणाधार ॥
दिन मर चल सेना जा ठहरी,
मानसरोवरके शुचि तीर।
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