SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हाल ही छपी नई तीन पुस्तकें । सफलता और उसकी साधनाके उपाय । इसे नागरीप्रचारिणीपत्रिकाके सम्पादक और हिन्दीशब्दसागरके सहकारी सम्पादक बाबू रामचंद्रजी वर्माने लिखा है। यह कई अँगरेजी ग्रन्थोंको पढ़कर और उनका आशय समझकर अपने ढंगँ पर इस देशके लिए उपयोगी बनाकर लिखा गया है । भाषा बहुत ही सरल और शुद्ध है । सफलताकी इच्छा रखनेवाले प्रत्येक व्यक्तिको इसे पढ़ना चाहिये । व्यापारी जैनोंके लिए बड़े कामकी चीज़ है । स्कूलोंमें लायब्रेरियोंमें रखने और इनाममें देनेके लिए बहुत उपयोगी हैं। मूल्य कपड़ेकी जिल्दका ||1] और सादीका || -] अन्नपूर्णाका मन्दिर । यह बंगभाषाकी सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती निरूपमा देवीके उपन्यासका अनुवाद है । बहुत ही पवित्र पुण्यमय और करुणरसपूर्ण ग्रन्थ है । इसे स्त्री पुरुष बालक युवा सभी पढ़कर आनन्द प्राप्त कर सकते हैं। अभी इसको प्रकाशित हुए एक ही वर्ष हुआ है कि इसके अँगरेज़ी और मराठी अनुवाद हो चुके हैं। हिन्दीके सुप्रसिद्ध कवि श्रीयुत बाबू मैथिलीशरणने इसे बहुत ही पसंद किया है और उन्हींकी प्रेरणासे यह हिन्दीमें छपाया गया है । मूल्य पक्की जिल्दका १] और सादीका || || स्वावलम्बन (सेल्फ हेल्प ) । यह सेमुएल स्माईल्सके प्रसिद्ध अँगरेजी ग्रंथका स्वतंत्र अनुवाद है। मूल ग्रंथ में जितने उदाहरण हैं । वे सब विदेसी पुरुषोंके हैं; परंतु इसमें उनके स्थानमें सैकड़ों देशी पुरुषोंके उदाहरण चुन चुन कर दिये गये हैं; इसके लिए बहुत परिश्रम किया गया है । पचासों पुस्तकें पढ़ना पढ़ी हैं। विदेशी उदाहरणोंमेंसे वे सब ज्योंके त्यों रहने दिये हैं, जो बहुत ही महत्त्वके हैं और जिनके कारण इस पुस्तकका महत्त्व है । स्माइल्सके इस ग्रन्थकी प्रशंसा करनेकी ज़रूरत नहीं है । अँगरेज़ीमें इसकी लाखों कापियाँ प्रतिवर्ष खपती हैं। अपने पैरोंपर आप खड़े होनेकी, अपने ही भरोसे अपनी उन्नति करनेकी, अपनी शक्तिका विश्वास दिलानेकी शिक्षा इसमें कूट कूट कर भरी है और जो इस देशके लिए बहुत आवश्यक है । पक्की कपडेकी जिल्दका मूल्य १॥ सादीका १|||| मिलनेका पता - हिन्दी-ग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, गिरगांव-बम्बई । www.jalnelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.522809
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy