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विचारशक्ति।
विचारशक्ति । "Strive with thy thoughts unclean before they over power thee, for if thou sparest them, and they take root and grow, know well those thoughts will overpo ver and kill thee."
" Voice of the Silence" अर्थात्-" हे मानव ! इसके पहले कि तेरे अधम विचार तुझ पर जय पालेवें तू उनका साम्हना कर । यदि तू उन्हें झोड़ देगा और वे जड़ पकड़कर बड़ जावेंगे तो याद रख कि ये ही विचार तुझे वशमें कर लेंगे और मार डालेंगे।"
भविष्य जीवनकी स्थितिका आधार जिन जिन कारणों पर है उनमें 'विचार' भी एक मुख्य कारण है। कहा है कि,-मन एव मनुप्याणां कारणं बंधमोक्षयोः-अर्थात् मन ही मनुष्योंके लिए बंध
और मोक्षका कारण है । ' मनुष्य ' शब्द संस्कृत मन धातुसे बना है जिसका अर्थ 'विचार करना' है । अर्थात् जो प्राणी विचार कर सकता है उसे मनुष्य कहते हैं। मनुष्यकी विचारशक्ति ही उसे पशुसे उच्च स्थितिमें स्थापित करती है । यदि मनुष्यमें विचारशक्ति न हो तो पशुमें और उसमें कुछ भी अंतर नहीं। मनुष्यका चरित्रगठन विचारोंके अनुसार ही होता है। पश्चिमीय साइन्स तथा पूर्वीय धर्मग्रंथ एक स्वरसे इस बातको प्रतिपादन करते हैं कि मनुष्य अपने कार्योंके अनुसार नहीं, किन्तु विचारोंके अनुसार बनाता है। । मनुष्यके विचारोंसे ही उसका वास्तविक स्वरूप जाना जाता है और उसकी भविष्यरचनामें उसके विचारोंको ही महत्त्वका स्थान
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