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________________ २३८ जैनहितैषी _७ जीवदयाज्ञानप्रसारक भण्डार । ___ बम्बईमें इस नामकी एक बड़ी ही अच्छी संस्था है । सन् १९१० में इसकी स्थापना हुई थी। " श्रीयुत सेठ लल्लूभाई गुलाबचन्दनी जौहरी, सराफबाजार बम्बई नं० २" इसके अवैतनिक प्रबन्धकर्ता हैं । आप श्वेताम्बर जैन हैं । संस्थाका मुख्य उद्देश्य जीवदयासंबंधी ज्ञानका प्रचार करना है। इस उद्देश्यके अनुसार वह पशुवधको रोकती है, मांसाहारकी हानियाँ बतलाकर लोगोंको शाकाहारी बनात है, और इसके लिए जुदा जुदा भाषाओंमें पुस्तकें पेम्फलेट ट्रेक आदि छपाकर मुफ्तमें वितरण करती है। इसका जो परिचयपत्र हमारे पास आया है उससे मालूम होता है कि संस्थाने पछले चार वर्षोंमें अपने प्रयत्नमें आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की है। उसके प्रयत्नसे लाखों जीवोंकी रक्षा हुई है, हजारों मनुष्य शाकाहारी बन गये हैं और सैकड़ों सज्जनोंने संस्थाके कामसे सहानुभूति प्रकट की है। बड़ोदा महाराजने अपने राज्यके १३०० ग्रामोंमें दशहरे पर जो पशुवध होता था उसे इसी संस्थाके प्रयत्नसे सर्वथा बन्द कर दिया है । दूसरे भी कई राज्योंमें उसे सफलता मिली है। और तो क्या उसने सुदूर जापानमें भी अपने पवित्र कार्यकी सिद्धके । लिए प्रयत्न किया था जिसके फलसे जापान सरकारने अपनी प्रकट की हुई आरोग्यवर्द्धक नियमावलीका दूसरा नियम इन शब्दोंमें लिखा है-" ऐसा प्रयत्न करो जिससे उत्तम अनाज, फल, शाक, और गायका ताजा दूध ये तुम्हारे नित्यके खानेकी चीजें बन जावें । मांस सर्वथा मत खाओ । गायका दूध जितना अधिक बन सके काममें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522803
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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