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________________ विविध प्रसंग | कभी संभव नहीं कि प्रयत्न किया जाय और उसमें सफलता न हो। उद्योगके आगें सफलतायें हाथ जोड़कर खड़ी रहती हैं । २ समाचारपत्रोंकी सहानुभूति । सेठीजीके विषय में देशके प्रायः सभी प्रसिद्ध प्रसिद्ध समाचारपत्रोंने लेख लिखनेकी कृपा की है। बंगाली, अमृतबाज़ारपत्रिका, एडवोकेट, लीडर, इन्दुप्रकाश, बाम्बे क्रानिकल, न्यूइंडिया, दि गुजराती, पंजाबी, कलकत्तागजट, अभ्युदय, प्रताप, भारतोदय, कलकत्तासमाचार, हिंदुस्तान, आर्यप्रकाश, हिन्दी समाचार, भारतमित्र आदि नामी नामी पत्रोंने युक्तिपूर्ण अग्रलेख लिखकर और श्रीमती गुलाबबाईकी हृदयझवक अपील प्रकाशित करके इस प्रश्नको देशव्यापी बना दिया है । सभीने एक स्वर से भारतसरकारसे प्रार्थना की है कि वह जयपुर राज्यके इस अनुचित कार्यमें हस्तक्षेप करे और ब्रिटिशराज्यकी न्यायशीलताकी रक्षा करे | इतना अच्छा आन्दोलन जहाँतक हम जानते हैं बहुत कम व्याक्तियोंके लिए हुआ है और इससे आशा होती है कि भारतसरकार प्रजाके इन प्रतिनिधियोंकी पुकार पर बहुत जल्द ध्यान देगी। हम अपने सहयोगियोंकी इस उदारता और सहानुभूतिको कभी नहीं भूल सकते हैं जो उन्होंने सेठीजीके विषयमें दिखलाई है । उन्होंने इस समय न केवल हमारी सहायता की है प्रत्युत यह बतलाया है कि धर्मभिन्नता होने पर भी तुम हमारे भाई हो, देशके एक अंग हो और तुम पर जो कष्ट आता है उसका अनुभव हमें भी तुम्हारे ही जैसा होता है । जैनसमाज इस शिक्षाको 1 Jain Education International २२९ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522803
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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