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जैनहितैषी
क्ष्यमें धन्यवाद दिया और जैन जातिके सम्बन्धमें बहुत ही अच्छे शब्द कहे । उन्होंने कहा कि “जैन जाति दयाके विषयमें विशेष रूपसे प्रसिद्ध है और दयाके कार्योंमें वह हजारों रुपया वर्च करती है। जैनोंकी मुखकी रचनामे और उनके नामोंमे जान पड़ता है कि वे पहले क्षत्रिय थे । जैन बहुत ही शान्तिप्रिय हैं ! "
जैनोंके लिए यह बहुत ही सन्तोषका विषय है कि उनके विषयमें एक प्रतिष्ठित यूरोपियन अफसरके मुँहमे इतने अच्छे शब्द निकले । परन्तु इन शब्दोंके जाननेकी जैनोंको उतनी जरूरत नहीं है जितनी कि देशी राज्योंको है । कुछ समय पहले जामनगर राज्यने अपनी प्रजाके एक धनवान् किन्तु निर्दोष जैनको कैट करके उसकी सारी सम्पत्ति जब्त करली थी और उसे बहुत ही कष्ट दिया था । अन्तमें सार्वजनिक पुकार सुनकर ब्रिटिश सरकारने उस पर दया की और उसे मुक्त कराया । इसी तरहकी एक विपत्ति जयपुर राज्यमें भी एक जैनभाई पर आपड़ी है । म्वार्थत्यागी और सुप्रसिद्ध विद्वान् पं. अर्जुनलालजी मेठी बी. ए. को जयपुर राज्यने भी बिना किमी अपराधके हवालातमें रख छोड़ा है और जैसा कि सुना गया है राज्यने पाँच वर्ष तक इसी तरह कैदमें मडाते रहनेका भी निश्चय कर लिया है। ___ मि० ओटो रोथफील्ड जैसे ब्रिटिश अफसरोंका यह कहना बिलकुल सत्य है कि " जैन बहुत ही शान्तिप्रिय हैं। " लार्ड कर्जनने भी यही कहा था और मिसिस एनीविसेंटने अभी कुछ ही दिन पहले अपने ' कोमन विल ' पत्रमें जैन जातिकी राजनिष्ठा और
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