SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६ जैनहितैषी पालक राजाने ६० वष, नन्द राजाओंने १५५ वर्ष, मौर्य राजाओंने १०८ वर्ष और पुष्यमित्रने ३० वर्ष राजा किया । बलमित्त भाणुमित्त सहीवरसाणि चत्त नहवहन । तह गद्दभिल्ल रज्जं तेरसवरिसा सगस्त चऊ ॥३॥ बलमित्र भानुमित्रने ६० वर्ष, नभोवाहनने ४० वर्ष, गर्दभिल्लने १३ वर्ष और शकने ४ वर्ष राजा किया । इस प्रकार महावीरम्वा। मीके निर्वाण और विक्रमसंवत्के आरंभमें ४७० वर्षका अन्तर है। इनमें विक्रम संवत् और ईस्वीसन्के बीचके ५७ वर्ष जोड़ देनेसे ५२७ वर्ष होते हैं। ___ महावीर स्वामीके निर्वाणकालके विषयमें इन्हीं गाथाओंका अनेक स्थलों पर उल्लेख किया जाता है; परंतु ये गाथायें किमी प्रकार भी मान्य नहीं हो सकतीं। प्रथम तो ये गाथायें मेरुतुंगकी अथवा उसके समकालीन ग्रंथकारोंकी बनाई हुई ही नहीं हैं। कारण कि उनके समयसे बहुत पहले जैनविद्वानोंने प्राकृतमें लिखना छोड़ दिया था । दूसरे इन गाथाओं तथा इसी प्रकारकी अन्य काल-विषयक गाथाओंमें विक्रम सम्वत्का उल्लेख किया गया है और उस सम्वत्को उज्जैनीके राजा विक्रमादित्यका चलाया हुआ मानते हैं । पर यह बिलकुल असत्य है । यह बात बहुत दिन हुए पूर्णरूपमे सिद्ध हो चुकी है कि ई० सन् से ५७ वर्ष पूर्व विक्रमादित्य नामका कोई राजा ही नहीं हुआ है । यह सम्वत् बहुत पीछे विक्रमादित्य राजाके नामसे प्रसिद्ध हुआ है । विंसेंट स्मिथके अनुसार इस मम्वत्को मालवाके ज्योतिषियोंने चलाया था । संभवतः चन्द्रगुप्त द्वितीयके Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522801
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy