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________________ ११ राष्ट्रीय सन्देश - परमहंस श्रीस्वामी रामतीर्थजी एम्. ए. के अंग्रेजी लेखोंका अनुवाद । अनुवादक बाबू नारायणप्रसादजी अरोड़ा बी. ए. कानपुर । इस पुस्तक स्वामी रामतीर्थजीके उत्तम उत्तम लेख और उनकी संक्षिप्त जीवनी है । इनमें से अधिकतर लेख स्वामीजीने अमेरिकामें या अमेरिका से आनेके पश्चात् लिखे थे इसमें स्वामीजीका अमेरिकाका अनुभव भी मौजूद है । इन लेखों से स्वामीजीका देश प्रेम और असली वेदान्त टपकता है । पृष्ठ संख्या ९६ मूल्य छः आने । स्वाधीन विचार - श्रीयुक्त लाला हरदयालसिंहजी एम्. ए. के नामसे देशका - शिक्षित समुदाय अपरिचित नहीं । आज कल आप संयुक्त राज्य अमेरिकाके बड़े भारी विश्वविद्यालय में हिन्दू दर्शन शास्त्र के अध्यापक हैं । इस पुस्तकमें आपके ही लेखोंका संग्रह है । इसमें निम्न लिखित ९ विषय हैं १ पंजाबमें हिन्दी के प्रचारकी जरूरत, २ भाषा और जातिका सम्बन्ध, ३ धर्मका प्रचार, ४ अमेरिकामें भारतवर्ष, ५ यूरोपकी नारी, ६ राष्ट्रकी सम्पत्ति, ७ कुछ भारतीय आन्दोलनोंपर विचार, ८ भारतवर्ष और संसारके आन्दोलन, ९ महापुरुष । पृष्ठ संख्या ९४ मूल्य सिर्फ चार आना । ट्राकोर, बड़ोदा, ? राज्यप्रबंध शिक्षा -- यह सुप्रसिद्ध देशी राजनीतिज्ञ इन्दौर के भूतपूर्व दीवान सर टी. माधवरावके अँगरेजी ग्रन्थ माइनर हिटेका हिन्दी अनुवाद है । कांशी नागरी प्रचारिणी सभाने छपवाया है । इसमें देशी राजाओं और जमीदारोंको अपनी रियासतोंका प्रबन्ध कैसे करना चाहिए, प्रजाके ' प्रति उनका क्या कर्तव्य है आदि बातों का बड़ी सरल भाषा में वर्णन है । मूल्य || पश्चिमीतर्क - इसे डी. ए. बी. कालेज लाहौरके प्रोफेसर लाला दीवानचन्द एम. ए, ने लिखा है । इसमें पाश्चात्य संसारके दर्शनशास्त्रका प्रारंभ से लेकर अबतक का इंतिहास, उसका विकाश, उसके सिद्धान्त और दार्शनिकोंका इति - हास आदि है । पुस्तक इतनी अच्छी है कि पंजाब के शिक्षाविभागने लेखकका प्रसन्न होकर १५००) पारितोषिक दिया है । मूल्य एक रुपया । प्रेमप्रभाकर -- रूस के प्रसिद्ध विद्वान् महात्मा टाल्सटायकी २३ कहानियोंका हिन्दी अनुवाद । प्रत्येक कहानी दया, करुणा, विश्वव्यापी प्रेम, श्रद्धा और भक्तिके तत्त्वों से भरी हुई है । बालक स्त्रियाँ जवान बूढे सब ही इनसे लाभ उठा सकते हैं । मूल्य १) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522795
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
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