SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४१ डाला है । डाक्टर हर्मन जैकोबी विलायतके पहले और भारतके २६ वें तीर्थकर हैं। भारतके प्राचीन विद्यापीठ काशीमें उनका 'ज्ञानकल्याणक' हुआ और उसी समय वे — जैनदर्शनदिवाकर' अर्थात् ' केवली' के पदसे विभूषित किये गये । जैन शास्त्रोंके अनुसार जैनदर्शनदिवाकर और केवली या केवलज्ञानी पर्यायवाची शब्द हैं । इस ज्ञानकल्याणकके उत्सवमें देवोंके अवतारस्वरूप पाश्चात्य पण्डित या ग्रेज्युएट विशेषतासे सम्मिलित हुए थे । कुछ लोगोंने पूछना चाहा था कि जैकोबी साहब शराब और मांससे परहेज करते हैं या नहीं? परन्तु इसके उत्तरमें मण्डलने कह दिया कि करते हैं या नहीं, यह तो हम नहीं जानते, परन्तु नई नियमावलीमें तीर्थंकरोंके लिए इस तरहका कोई नियम नहीं है। तीर्थकर भगवानकी राजपूताना और मारवाडके विहारमें जो दिव्य.. ध्वनि खिरी थी, उस पर स्थानकवासी और श्वेताम्बरी श्रावकोंमें प्रतिमा पूजाको लेकर एक बड़ा भारी विवाद खड़ा हो गया है । गणधर तो अनेक थे, परन्तु सुनते हैं उनमें भी मतभेद हो गया है । मालूम नहीं, विलायती तीर्थकर चिट्ठी पत्रीसे अपने उपासकोंका समाधान करते हैं या नहीं! .. - ४ छज्जेकी रहनेवाली जीने पर आ गई। कलकत्तेकी जैनपाठशालाके विद्यार्थियोंको पारितोषिक वितरण करनेके लिए एक सभाकी गई थी और उसके सभापति रायबहादुर सेठ मेवारामजी बनाये गये थे । कहते हैं कि इस मौके पर सभापति साहबने अपने करकमलोंसे जैनधर्म की क्षत्रचूडामणि, सप्तव्यसनचरित, सूक्तमुक्तावली, गृहस्थधर्म आदि छपी हुई पुस्तकें बाँटी थीं। इस खबरको पढ़कर छापेवालोंकी खुशीका कुछ ठिकाना नहीं रहा है । परन्तु बन्दा तो इसे बहुत ही मामूली बात समझता है-यह तो उस दिन खुश होगा, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522795
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy