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जैनहितैषी के नियम ।
१. जैनहितैषी का वार्षिक मूल्य डांकखर्च सहित १ ॥ ) पेशगी है । २. इसके ग्राहक सालके शुरूहीसे बनाये जाते हैं, बीच में नहीं। बीचमें ग्राहक बननेवालोंको पिछले सब अंक शुरू सालसे मंगाना पड़ेंगे, साल दीवाली से शुरू होती हैं ।
३. प्राप्त अंकसे पहिलेका अंक यदि न मिला होगा, तो भेज दिया जायगा । दो दो महिने बाद लिखनेवालोंके पहिलेके अंक फी अंक दो आना मूल्यसे भेजे जावेंगे ।
४. बैरंग पत्र नहीं लिये जाते । उत्तरके लिये टिकट भेजना चाहिये ।
५. बदलेके पत्र, समालोचनाकी पुस्तकें, लेख बगैरह "सम्पादक जैनहि' तैषी, पो० गिरगांव - बम्बई के पतेसे भेजने चाहिये ।
६. प्रबंध सम्बंधी सब बातोंका पत्रव्यवहार मैनेजर, जैनग्रंथरत्नाकरकार्यालय पो० गिरगांव, बम्बई से करना चाहिये ।
प्रवचनसार ।
मूल, संस्कृत छाया, अमृतचन्द्रसूरि और जयसेनसूरिकी दो संस्कृत टीकायें और पं० हेमराजकृत भाषा टीका सहित । मूल्य तीन रुपया ।
गोमहसार कर्मकाण्ड |
मूल, संस्कृत छाया और पं० मनोहरलालजीकी बनाई हुई संक्षिप्त भाषा टीकासहित छपकर तैयार है। मूल्य दो रुपया ।
हनुमानचरित्र |
इसमें अंजना पवनंजयके पुत्र हनुमानजीका संक्षिप्त चरित्र सरस भाषा में दिया गया है। इसे खंडवा के श्रीयुत सुखचन्द पदमशाह पोरवालने बनाया है । मूल्य छह आने ।
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