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________________ १४ वादिवेतालशांतिसूर Jain Education International [उत्तराधयनसूत्रपाइयटीका, बृहदशान्तिस्तव, जीवविचारप्रकरण, चैत्यवन्दनमहाभाष्य आदि के कर्त्ता वि० सं० १०९६ / ई० स० १०४० में मृत्यु (सर्वदेवसूरि) (विजयसिंहसूरि) Hill शांतिसूर (सर्वदेवसूरि) (विजयसिंहसूरि) (शांतिसूरि ) सर्वदेवसूरि शिवप्रसाद विजयसिंहसूर शांतिभद्रसूरि [द्वितीय] पूर्णभद्रसूरि वि० सं० १०८४ / ई० स० १०२८ एवं वि० सं० १११० / ई० स० १०५४ में रामसेन स्थित जिनालय प्रतिमा प्रतिष्ठापक नमिसाधु [ इनके अनुयायी श्रावक यशश्चन्द्र ने वि० सं० १२५९ / ई० स० १२०३ में पार्श्वनाथ की धातु प्रतिमा बनवायी] [वि० सं० १३१५ / ई० स० १२५९ ] प्रतिमालेख शालिभद्रसूरि [ द्वितीय] वि० सं० ११३९ / ई० स० १०८३ में . सटीक बृहत्संग्रहणीप्रकरण के रचनाकार [वि० सं० १९२२ / ई० स० १०६५ में षडावश्यक सूत्रवृत्ति एवं वि० सं० ११२५ / ई० स० १०६८ में काव्यालंकारटिप्पन के रचनाकार ] [वि० सं० १२८८ / ई० स० १२३२ ] प्रतिमालेख [ महामात्य वस्तुपाल द्वारा वि० सं० १२९८ / ई० स० १२४२ में शत्रुञ्जय महातीर्थ पर उत्कीर्ण कराये गये शिलालेख में उल्लिखित सर्वदेवसूरि संभवत: यही हैं ] Nirgrantha For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522701
Book TitleNirgrantha-1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1995
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Nirgrantha, & India
File Size10 MB
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