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________________ बिहार की जैन गुफायें 271 उपर्युक्त वर्णित गुफायें जैन धर्म के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखती है । वस्तुतः जैन धर्म के अञ्चल में ही जैन कला पनपी एवं पुष्ट हुई। इसका उद्देश्य जीवन को ऊँचा उठाना रहा । जैन धर्म के प्रसिद्ध मुनि संखाति गोशाल 3 जो चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर के परम शिष्य थे, कुछ सैद्धान्तिक मतभेद के कारण जैन धर्म से पृथक् हो गये और इन्होंने अपना एक अलग सम्प्रदाय निकाल लिया । मंखलि गोशाला का यही सम्प्रदाय आजीविक सम्प्रदाय के नाम से विख्यात हुआ । सम्राट् अशोक जो धार्मिक सहिष्णुता का प्रथम भारतीय स्तम्भ था, इस नवगठित आजीविक सम्प्रदाय का भी प्रश्रयदाता बना एवं असंख्य राजकीय मुद्राओं को व्यय करके कठोर पत्थर में इन गुफाओं का निर्माण कराया । कुछ विद्वानों की मान्यता है कि आजीविक सम्प्रदाय जैन धर्म के अति निकट था और इसी कारण केवल दो-तीन शताब्दियों तक ही अपना कुछ अलग अस्तित्व बनाये रखने के पश्चात् जैन धर्मं की मुख्य धारा में विलीन हो गया ।२४ बरावर एवं नागार्जुनी पर्वतों पर सम्राट अशोक एवं उसके पौत्र दशरथ द्वारा निर्मित ये जैन गुफाएँ निस्सन्देह भारतीय संस्कृति तथा कला पर जैन कला के महत्वपूर्ण योगदान के ज्वलन्त उदाहरण हैं । जैन धर्म से सम्बन्धित ये महान् कृतियाँ कुछ उपेक्षित-सी हैं । इनके रख-रखाव के निमित्त कुछ कारगर कदम उठाना आवश्यक प्रतीत होता है । सन्दर्भ संकेत १. बलभद्र जैन-भारत के दिगम्बर जैन तीर्थं (बम्बई - १९७५) पृ० ४ | २. एल० ए० वैडेल - रिपोर्ट आंन दी एस्केसेशन ऐट पाटलीपुत्र पृ० ४७ । ३. सिन्हा और नारायण -पाटलीपुत्र एक्सवेशन्स, १९५५-१९५६ ( पटना - १९७०) ४. अजय कुमार सिन्हा - केमस आफ बराबर हिल्स; बिहार इनफोश्मेशन वर्ष १८ अंक ९ ( पटना - १९७१) पृ० ४-६ । ५. डब्लू० डब्लू हंटर—दी स्टैटिस्टीक्स एकाउंट आफ बंगाल, भोल्युम x ११ ( लन्दन - १९८८) ५० ५८९ । ६. उपाध्याय वासुदेव - प्राचीन भारतीय स्तूप, गुहा और बिहार ( पटना - १९७२ ) पू० १४२ । ७. परसी ब्राउन - इंडियन आर्किटेक्चर (बुद्धिस्ट एण्ड हिन्दू ) ( बम्बई - १९५६) १५ । ८. जेम्स फर्गुसन - हिस्ट्री आफ इण्डियन एण्ड इस्टनं आर्केटेकचर, खण्ड । ( लन्दन - १८७६), पृ० १३०-१३३ । ९. बी० सी० लाहा - इंडिया ऐज डिस्क्राइन्ड इन दी अर्को टेक्सट्स आफ बुद्धिज्म एण्ड जैनिज्म, पृ० २७ । १०. सीस० शिवराममूर्ति-दी आर्ट आफ इण्डिया, (न्यूयार्क - १९७४) पृ० ४४७-४४८ । ११. अजय कुमार सिन्हा-केभ पेंटिग्स आफ बरावर हिल्स, जर्नल आफ बिहार पुराविद् परिषद्, भोल्युम ११ ( पटना - १९७८), पृ० ४०-४३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522606
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNand Kishor Prasad
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1990
Total Pages290
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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