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________________ 270 Vaishali Institute Research Builetin No. 7 लाजिना पियवसिना दुवाडसवसाभिसितेना इयं कुभा खलतिक पवतसि दिना आजीविकेहि | चौथी गुफा कर्नकोपर " है । इसका मुख्यद्वार उत्तर की ओर है । इसमें मात्र एक ही कक्ष है, जिसका माप साढ़े तैंतीस फीट लम्बाई एवं चौदह फोट चौड़ाई है । इसके पश्चिमी दीवार के पास एक आयताकार लगभग डेढ़ फीट ऊँचा प्लेटफार्म बना है, जिसे कुछ विद्वानों ने मूर्ति स्थापित करने के निमित्त बनाया हुआ बताते हैं । परन्तु लेखक का मत है कि इस पर आजीविक संघ के प्रमुख बैठ कर प्रवचन देते होंगे । इस प्लेटफार्म पर चमकदार पालिश नहीं है । स्पष्ट है कि जब जैन-धर्म कठिन साधना एवं सांसारिक सुखों को त्यागने का मार्ग प्रशस्त करता है तब उसके मार्गदर्शक ( जैन मुनिगण ) चमकदार चिकने आसन को ग्रहण कैसे कर सकते थे ? इसके मुख्य द्वार के दाहिने ओर की दीवाल पर एक अशोककालोन अभिलेख ६ उत्कीर्ण है । इससे ज्ञात होता है कि इस गुफा ( अभिलेख में सुपिया गुफा अंकित ) का निर्माण सम्राट अशोक के राज्यकाल के उन्नीसवें वर्ष में किया गया था । बराबर पहाड़ से सटे नागार्जुनी" नामक पर्वत है । यह पर्वत भी ग्रेनाइट पत्थरों का है । इस पहाड़ी का गुफा -निर्माण के निमित्त चयन सम्राट अशोक के पौत्र दशरथ ने किया । यहाँ पर अवस्थित तीन प्रस्तर गुफाएँ - गोपिका, वहिजक एवं वडलहिक बराबर की गुफाओं की भाँति चमकदार पालिशयुक्त है । गोपिका गुफा " सबसे बड़ी लगभग साढ़े छियालिस फीट लम्बी तथा सवा उन्नीस फीट चौड़ी है । इसकी दीवार दोनों ओर लगभग साढ़े छः फीट ऊंची है जबकि मध्य में यह लगभग साढ़े दस फीट ऊँची है। इसमें जो चमकदार पालिश है, वह बराबर की गुफाओं की चमकदार पालिश से अति निम्नस्तर का है । इस गुफा की लम्बाई एवं चौड़ाई इस बात को बताती है कि यह आजीविको के निवास स्थल के रूप में प्रयोग की जाती होगी । इसका मुख्य द्वार दक्षिण मुख का है, जो गुफा के बिल्कुल मध्य में अवस्थित है । लगभग साठ फीट ऊँचाई पर निर्मित इस गुफा का निर्माण मौर्य राजा दशरथ के सिंहासनारूढ़ होवे के वर्ष अर्थात् लगभग २१४ ई० पू० में हुआ था । अभिलेख में इसे गोपिका वुभा अंकित किया गया है । ९ RO , दूसरी गुफा का नाम वहिजक है। छोटे आकार की इस गुफा का माप लगभग पौने सत्रह फीट लम्बा तथा ग्यारह फीट चौड़ा है । इसके बाहर में लगभग छः फीट का चतुर्भुजाकार ओसारा है । इसमें चमकदार पालिश नहीं की जा सकी है । इसके बगल में बडलहिक ३१ या वेदयिक नामक गुफा है । यह लगभग साढ़े सोलह फीट लम्बी है। इसका मुख्य द्वार भी अन्य गुफाओं की भाँति मिश्र की स्थापत्य कला पर आधारित है । इसमें बेहतरीन चमकदार पालिश की गयी है । मौर्य राजा दशरथ का एक अभिलेख इस गुफा में उत्कीर्ण है, जिसका मुख्य अंश निम्न प्रकार हैं Jain Education International afest बुभा वषयेना देवानं आनंतलियं । अभिषेतना ( आं० बी० ) विकेहि " *॥१२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522606
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNand Kishor Prasad
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1990
Total Pages290
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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