________________
सेतुबन्ध में बिम्ब-विधान डा० राय अश्विनी कुमार /डा. हरिशंकर पाण्डेय हिन्दी में बिम्ब शब्द का प्रयोग आंग्ल "इमेज" शब्द के स्थान पर किया जाता है। 'इमेज' का अर्थ होता है-किसी पदार्थ का मनश्चित्र या मानसिकी प्रतिकृति, कल्पना अथवा स्मृति में उपस्थित चित्र या प्रतिकृति जिसका चाक्षुष होना अनिवार्य नहीं है। मनोविज्ञान की भाषा में "मानसिक पुननिर्माण" बिम्ब है । इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका में अंकित है कि "बिम्ब वे सजग स्मृतियों हैं, जो मूल प्रेरक अवधारणा की अनुपस्थिति में किसी पूर्व अवधारणा को समग्र अथवा आंशिक रूप में पुनप्रस्तुत करती हैं । बिम्ब-निर्माण पूर्णतः मानसिक व्यापार है और मस्तिष्क की आंखों से देखी जाने वाली वस्तु है।
प्रख्यात विचारक सिसिल हे लेविस के अनुसार काव्य-बिम्ब शब्दात्मक ऐन्द्रिय चित्र है जो कुछ अंशों में रूपकात्मक होते हुए मानवीय भावों का अभिव्यंजक होता है । साथ ही किसी विशिष्ट काव्यात्मक संवेदना से सम्प्रेरित हो पाठक तक उसी भाव को सम्प्रेषित करता है। इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि बिम्ब वह शब्द-चित्र है जिसके द्वारा कवि अपने भावों एवं विचारों को उदाहुत, सुस्पष्ट एवं अलंकृत करता है । भाव एवं संस्कार सहृदय-मन में अन्तरवस्थित होते हैं, अमूर्त रूप में निवास करते हैं, उन्हीं का ऐन्द्रिक अभिव्यक्ति बिम्ब है।
बिम्ब कोई नई वस्तु नहीं बल्कि कारयित्री एवं भावयित्री प्रतिभासम्पन्न कवि के अन्तश्चेतन में विद्यमान अमूल्तं भावों का मूर्त इन्द्रियगम्य अभिव्यक्ति है जिसके द्वारा कवि अपनी भावनाओं तक पहुँचाने में समर्थ होता है ।
जेम्स आर० क्रूजर के अनुसार जो वस्तु सामने नहीं है उसे इन्द्रियों द्वारा ग्राह्य बना देना बिम्ब का कार्य है । बिम्ब किसी अमूत्तं विचार या भावना की पुननिर्मिति है।
स्वयं दृष्ट, अनुभूत एवं प्रत्यक्षीकृत वस्तुओं का श्रोताओं के साममे प्रत्यक्षीकरण बिम्ब है । इस प्रकार अनुभूति की यथातथ्य अभिव्यक्ति बिम्ब है । कैरोलियन स्पजियन ने शेक्सपियर के बिम्बों के विश्लेषण के क्रम में बिम्ब विषयक अवधारणा प्रस्तुत की है । उनके अनुसार-"बिम्ब कवि द्वारा अपने विचारों को उदाहृत सुस्पष्ट एवं अलंकृत करने के लिए प्रयुक्त एक लघु शब्दचित्र है। यह किसी अन्य वस्तु के साथ वाच्य या प्रतीयमान साम्य या उपमा के द्वारा प्रस्तुत किया गया एक वर्णन विचार है । कवि अपने वर्ण्य-विषय को जिस ढंग से देखता, सोचता या अनुभव करता है, बिम्ब उसकी समग्रता, गहनता, रमणीयता एवं विशवता
*. प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, मगध विश्वविद्यालय बोधगया । **, वरीय यू० जी० सी० फेलो, संस्कृत विभाग, मगध विश्वविद्यालय बोधगया ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org