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________________ 240 Vaishali Institute Research Bulletin No. 7 कुप्पटूरू (कन्नड) के लेख सं० २०९ शक सं० ९९७ में भी कहा है'आतक्य-गुणजलधिकुण्डकुन्दाचार्य्यर् । आ-कोण्डकुन्दान्वयदोलु । श्री कुण्डकुन्दान्वय-मूलसंघे "..."। विन्ध्यगिरि पर्वत पर सिद्धरबस्ती में उत्तर की ओर एक स्तम्भ पर शक सं० १३२० के विस्तृत लेख संख्या १०५ में अनेक आचार्यों के नामोल्लेख सहित उत्कीर्ण है कि यः पुष्पदन्तेन च भूतबल्याख्येनापि शिष्य-द्वितयेन रेजे। फलप्रदानाय जगज्जनानां प्राप्तोऽङ्कराम्यामिवकल्पभूजः ॥२५॥ अर्हद्बलिस्सङ्घचतुर्विधं स श्रीकोण्डकुण्डान्वयमूलसङ्ख । कालस्वभावादिह जायमानद्वेषेतराल्पीकरणाय चक्रे ॥२६॥ इस तरह आचार्य कुन्दकुन्द और कुन्दकुन्दान्वय का उल्लेख अनेकों शिलालेखों में है। उपर्युक्त उल्लेखों के अतिरिक्त महाराष्ट्र, मैसूर, विहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, दिल्ली आदि स्थानों के शिलालेखों में आ० कुन्दकुन्द का और इनके अन्वय का उल्लेख है । इन शिलालेखों को जैन शिलालेख संग्रह भाग ५ में देखा जा सकता है। कुन्दकुन्दाचार्य के नामोल्लेख तथा उनको यशोगाथा से सम्बन्धित शिलालेख दृष्टव्य हैं यह श्रवणवेलगोल के चन्द्रगिरि पर्वत पर पार्श्वनाथ बस्ती में एक स्तम्भ लेख सं० ५४, जो कि शक सं० २०५० का है, इसमें कहा है वन्द्योविभु वि न कैरिह कोण्डकुन्दः । कुन्द-प्रभा-प्रणयि-कीति-विभूषिताशः । यश्चारु - चारण - कराम्बुजचश्चरीक श्चक्रे श्रुतस्य भरते प्रयतः प्रतिष्ठाम् ॥५॥ विन्ध्यगिरि पर्वत पर सिद्धरबस्ती में दक्षिण ओर के एक स्तम्भ पर शक सं० १३५५ के लेख सं० १०८ में कहा है तदीयवंशाकरतः प्रसिद्धादभूददोषा यतिरत्नमाला । बभौ यदन्तर्मणिबन्मुनीन्द्रस्स कुन्डकुन्दोदित चण्डदण्डः ॥१०॥ वेरावल (सौराष्ट्र) में १२वीं सदी के एक संस्कृत लेख सं० २८७ में लिखा है : बभूवुः कुन्दकुन्दाख्या साक्षात्कृतजगत्त्रयाः ॥ १३ ॥ येषामाकाशगामित्वं व्यातपंचकमुज्वलं ॥ १. जैन शिलालेख सं० भाग २ पृष्ठ २६९ । २. वही, भाग १ पृष्ठ १९९ । ३. वही भाग ५ पृष्ठ ३५, ३८, ५४, ५६, ५७, ५८, ६३, ७२, ७३, ७५, ८४, ९२, १०२, १०५, ११०, ११२, ११४ । ४. जैन शिलालेख सं० भाग ४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522606
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNand Kishor Prasad
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1990
Total Pages290
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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