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ही प्रभावशाली विद्वान् या संत या श्रीमान् क्यों न हो-वे निर्भीक होकर अपना मन्तब्य प्रकट करते थे ।
अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्-परिषद् की स्थापना सन् १९४४ में कलकत्ता में वीर शासन जयन्ती पर हुई उसमें आपकी प्रमुख प्रेरणा थी, सहयोग था । आप आजीवन विद्वत्परिषद् से जुड़े रहे और उसे आपका मार्गदर्शन मिलता रहा । आप उसके संरक्षक थे । ऐसे चोटी के विद्वान् का उठ जाना विद्वत् समाज की एक बहुत बड़ी क्षति है जिसकी पूर्ति मुश्किल है ।
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