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Vaishali Institute Research Bulletin No. 6
४-६-गुरु के आगे बराबर पीछे अड़कर बैठना आदि तीन आशातनाएँ । ६-९-गुरु के आगे, बराबर तथा पिछे खड़ा होना आदि तीन आशातनएँ । १०-यदि गुरु और शिष्य एक साथ एक पात्र में जल लेकर शौच शुद्धि के लिए
बाहर गये हों तो गुरु से पूर्व आचमन तथा शौच शुद्धि करना । ११-बाहर से लौटने पर गुरु से पहले ही ईर्या पथ की आलोचना करना। १२-रात्रि में जागते हुए भी गुरु के बुलाने पर न बोलना । १३-गुरु से बात करने के लिए आये हुए व्यक्ति से, गुरु से पहले स्वयं बातचीत
करना। १४-आहार आदि की आलोचना पहले साधुओं के समक्ष कर बाद में गुरु के आगे
करना। १५-आहार आदि लाकर पहले साधुओं को दिखलाना । १६-आहार आदि ग्रहण करने के लिए पहले साधुओं को आमंत्रित करना और बाद ... में गुरु को निमंत्रण देना ।
१७-गुरु से पूछे बिना दूसरे साधु को उसकी इच्छानुसार प्रचुर आहार देना । . १८-गुरु के साथ आहार ग्रहण करते समय सुस्वादु आहार स्वयं खा लेना। १९-गुरु के बुलाये जाने पर अनसुना कर देना । २०-गुरु के प्रति या उनके सकक्ष मर्यादा से अधिक बोलना । २१-गुरु के द्वारा बुलाये जाने पर उत्तर में क्या कहते हो' आदि अभद्र शब्दों का
प्रयोग करना। २२-गुरु के द्वारा बुलाये जाने पर आसन पर बैठे-बैठे बात सुनना और उत्तर देना। २३---गुरु के प्रति तू शब्द का प्रयोग करना। २४--किसी कार्य की आज्ञा को अस्वीकार करके उल्टा उन्हीं से कहना कि तुम
ही कर लो। २५ --गुरु के धर्म कथा कहने पर ध्यान से न सुनना और अन्यमनस्क रहना। २६-धर्मकथा करते समय बीच में ही टोकना-आप भूल गये हैं, यह ऐसे नहीं है
इत्यादि । २७-धर्मकथा करते समय बीच में भंग करना । १८-धर्मकथा करते समय परिषद् का भेदन करना और कहना-कब तक कहोगे,
भिक्षा का समय हो गया हैं । २९-गुरु को नीचा दिखाने के लिए सभा में हो गुरु द्वारा कथित विषय का विस्तृत
विवेचन करना।
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