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________________ जैन नाटककार हस्तिमल्ल का समय 217 शान्ति जिनेन्द्र की मूर्ति भी स्थापित कराई थी । सन् ११३१ में शान्तला ने बेंगलूर से ३० मील दूर शिवगंगे में जो समाधिमरण धारण किया था उस समय प्रभाचन्द उपस्थित थे ।" यह सम्भव है कि उस समय प्रभाचन्द की आयु बहुत अधिक न हो, और उनके गुरु त्रैविधदेव की आयु अधिक हो । दूसरा उल्लेख मिलता है कि कुलशेखर अलुपेन्दु देव प्रथम ( ११७६ से १२०० ई०) के समय तुलु देश में जैनधर्म को राजकीय सहायता प्राप्त थी, उस समय प्रभाचन्द आदि जैन गुरुओं का सम्मान किया गया था । २ यही प्रसिद्ध प्रभाचन्द गुरु ही प्रभेन्दु मुनि थे क्योंकि कई स्थानों पर मुनि प्रभाचन्द के नाम से इतना उल्लेख आया है । अब प्रश्न यह है कि इनका नाम प्रभाचन्द है और हस्तिमल्ल ने प्रभेन्दु नाम से उल्लेख किया है । उसका समाधान यह है कि हस्तिमल्ल ने चन्द का पर्यायवाची इन्दु शब्द उनके साथ जोड़ दिया है । हस्तिमल्ल के नाटकों के अनुशीलन से पता चलता है कि सोमवंशी को चन्द्रवंशी आदि पर्यायवाची नाम मिलते हैं । मुनिदीक्षा लेते समय भी नाम के एक देश में परिवर्तन कर सौन्दर्य लाया जाता है । यह प्रथा आज तक चली आ रही है । कविगण नागों में भी पर्यायवाची शब्द का प्रयोग कर देते हैं। इसके अनेक दृष्टान्त हैं । यह बात निश्चित है कि हस्तिमल्ल के नाटक प्रणयन के समय ११९० के आसपास वे वृद्ध हो गए होंगे, इसीलिए हस्तिमल्ल ने उनके लिए योगीराट् शब्द का व्यवहार किया है । प्रभेन्दु मुनि के समकालीन होने से हस्तिमल्ल के नाटकों का रचना - काल ईसा की १२वीं सदी का अन्तिम भाग होना चाहिए। यह बात सम्भव है कि उस समय हस्तिमल्ल की अवस्था कम हो, शृंगार रस के नाटकों का प्रणयन युवावस्था का द्योतक है । इस प्रकार इनके नाटकों की रचना का काल ११८५ से १२०० के बीच होना चाहिए। उस समय हस्तिमल्ल की आयु २५ से ३५ वर्ष के बीच माने तो उनका जन्म ११६० के आसपास होना चाहिए । 3 २. ऐतिहासिक राजा भीम का श्राधार : विक्रान्तकौरव नाटक में स्वयंवर में पहुँचने वाले अनेक देशों के राजाओं में भीषण चेष्टा वाले भीम का उल्लेख भी है । उसी नाटक के युद्ध प्रसंग में भी सौराष्ट्र के राजा भीम का उल्लेख है जो हाथी पर चढ़कर युद्ध करता था ।' गुजरात के इतिहास में प्रजयपाल के अनुज भीम (द्वितीय) का वर्णन मिलता है जो सन् ११७८ में गद्दी पर आसीन हुआ था । वह भीम भी स्वभावतः भीषण ९. वही । २. भारतीय इतिहास एक दृष्टि, पृष्ठ ३३०. ३ ४. जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ ५३७. निसर्गभीषणचेष्टितः सौराष्ट्रो भीमः ससंरम्भमवोचत् ५. वही, पृष्ठ १६०. Jain Education International ( विक्रान्त कौरव ( चौखम्बा ) १२९ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522602
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG C Chaudhary
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1974
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size7 MB
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