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कवि इधू और उनका साहित्य
बहुमुखी प्रतिभा के धनी महाकवि रइधू निस्सन्देह ही भारतीय-वाड्मय के इतिहास के एक जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं । विपुल एवं विविध साहित्य रचनाओं की दृष्टि से उनकी तुलना में ठहरनेवाले किसी अन्य प्रतिस्पद्ध कवि या साहित्यकार के अस्तित्व की सम्भावना नहीं की जा सकती । रस की अमृतस्रोतस्विनी प्रवाहित करने के साथ मध्यकालीन भारतीय संस्कृति के चिरन्तन आदर्शो की प्रतिष्ठा करनेवाला यह प्रथम सारस्वत है जिसके व्यक्तित्व में एक साथ इतिहासकार, दार्शनिक, प्राचारशास्त्र - प्रणेता एवं क्रान्तिदृष्टा का समन्वय हुआ है ।"
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कवि की उपलब्ध समस्त रचनाओं का परिशीलन प्राकृत विद्यापीठ वैशाली की ओर से 'अपभ्रंश के महाकवि रइधू की रचनाओं का आलोचनात्मक परिशीलन' नामक शोध ग्रन्थ के रूप में शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है तथा जीवराज ग्रन्थमाला', शोलापुर (महाराष्ट्र) की ओर से 'रइधू - ग्रन्थावली' के रूप में समग्र रइधू - साहित्य १६ भागों में सर्वप्रथम सम्पादित होकर प्रकाशित होने जा रहा है । उसका प्रथम भाग प्रकाशित है तथा द्वितीय एवं तृतीय भाग यन्त्रस्थ है |
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