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अपभ्रंश भारती 21
अक्टूबर, 2014
सिरिपाल-मयणासुंदरीचरिय
- पण्डित णरसेण
सिरिपाल-मयणासुंदरीचरिय (सिद्धचक्र कथा) नामक यह पाण्डुलिपि दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान में संगृहीत पाण्डुलिपियों में से एक है। इसकी वेष्टन संख्या 1282 है। इसमें राजा श्रीपाल एवं उनकी रानी मैनासुन्दरी की कथा एवं उनके माध्यम से सिद्धचक्र पूजा के महात्म्य का वर्णन है। अपभ्रंश भाषा में रचित इस कथा के रचनाकार पंडित णरसेण हैं। यह कथा 96 पृष्ठों (पत्र 42) में निबद्ध है।
यहाँ इस रचना का एक अंश प्रकाशित किया जा रहा है। इस अंश की प्रतिलिपिकार हैं श्रीमती माया कौशिक, सहायक निदेशक, अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर।