________________
अपभ्रंश भारती 21
1. डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन, हिन्दी की जननी - अपभ्रंश, ब्र. पं. चन्दाबाई अभिनन्दन
ग्रन्थ, पृष्ठ 460 2. डॉ. हीरालाल जैन, पाहुडदोहा की प्रस्तावना, पृष्ठ 27-28 से उद्धृत, कारंजा,
1933 3. डॉ. ए. एन. उपाध्ये, परमात्मप्रकाश की प्रस्तावना, पृष्ठ 126 से उद्धृत, 1978 4. डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, पाहुडदोहा की प्रस्तावना, पृष्ठ 18 से उद्धृत
उक्त 2 के अनुसार पृष्ठ 17 से उद्धृत
उक्त 3 के अनुसार प्रस्तावना पृष्ठ 125 से उद्धृत 7. उक्त 4 के अनुसार, पृष्ठ 23 से उद्धृत 8. डॉ. प्रेमसागर जैन, जैन भक्तिकाव्य की पृष्ठभूमि, भूमिका, पृष्ठ 48 9. डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी, रहस्यवाद, पृष्ठ 48 10. डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी, मध्यकालीन धर्म साधना, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ 52 11. उक्त 3 के अनुसार, पृष्ठ 110 से उद्धृत 12. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन साहित्य का इतिहास पूर्व-पीठिका (द्वितीय संस्करण)
पृष्ठ 65 13. उक्तानुसार, पृष्ठ 70 14. मार्कण्डेय पुराण, अ. 5; कूर्म पुराण अ. 41; अग्निपुराण अ. 10; वायुपुराण
अ. 33; गरुड़ पुराण अ.1; ब्रह्माण्ड पुराण अ. 14; वराहपुराण अ. 74; लिंगपुराण अ. 47; विष्णु पुराण, अ. 2; और स्कन्ध पुराण, कुमार खण्ड,
अ. 37; उक्तानुसार 12, पृष्ठ 65 से उद्धृत 15. प्रो. रानाडे, महाराष्ट्र का आध्यात्मिक गूढ़वाद, भूमिका पृष्ठ 9, (R.D. Ranade,
Mysticism in Maharasthra, Preface).