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________________ 54 अपभ्रंश भारती 17-18 आयहुँ अट्ठहु मि जो णरु मूढउ वीसम्भइ। लोइउ धम्मु जि छुडु विप्पउ पएँ पएँ लब्भइ॥36.13॥ अर्थात् राम का कहना है कि- जो राजा सम्मान करनेवाला होता है वह अवश्य अर्थ और सामर्थ्य का हरण करनेवाला होना चाहिए। जो दान देने में अधिक उदारता दिखाता है उसे सीधा न समझा जाए, वह विषधर है। जो मित्र बिना किसी कारण के घर पर आता है उसके चरित्र पर दृष्टि रखो, वह स्त्री का हरण कर सकता है। जो पथिक रास्ते में अकारण स्नेह जताता है उसे अहितकारी चोर समझो। जो व्यक्ति अधिक लल्लो-चप्पो यानि चापलूसी करता है वह प्राण भी ले सकता है। जो स्त्री कपट-भरी चाटुकारिता करती है वह सिर कटवा सकती है। जो कुलवधू बार-बार शपथ का व्यवहार करता है वह सैकड़ों बुराइयाँ कर सकती है। जो कन्या होकर भी दूसरे पुरुष को चाहती है वह क्या आगे ऐसा करना छोड़ देगी! राम कहते हैं कि लोक धर्म की भाँति, जो मूढ़ इन बातों में विश्वास नहीं करता उसे निश्चित ही पग-पग पर धोखा खाना पड़ता है। पउमचरिउ में जितने भी प्रमुख पात्र हैं सभी को लोक की अच्छी जानकारी है। लक्ष्मण तो इतने लोकवादी हैं, इस लोकविद्या में इतने निपुण हैं कि वे यह भी जानते हैं कि कौन-सी स्त्री कैसी होती है! सुलक्षिणी स्त्रियों की शारीरिक बनावट को सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक बताते हुए लक्ष्मण का यह कहना ............महु-वण्ण महा- घण छाय-थर सुह-भमर-णाहि-सिर-भमर-थण। सा वहु-सुय वहुधण वहु सयण ।। जहें वामएँ करयलें होन्ति सय। मीणारविन्द-विस-दाम-धय । गोउर घरु गिरिवरु अहव सिल। सु-पसत्थ स-लक्खण सा महिल। चक्कस-कुण्डल-उद्धरिह। रोमावलि वलिय भुयङ्ग जिह। अद्धेन्दु-णिडालें सुन्दरॅण। मुत्ताहल-सम ----------दन्तन्तरण ।।36.14।। अर्थात् जो मधु रंग की भाँति अत्यन्त कान्तिमती हो तथा जिसकी नाभि, सिर और स्तन सुन्दर तथा सुडौल हों वह बहु पुत्रवती, धनवती और कुटुम्बवाली होती है। जिसकी बाईं हथेली में चक्र, अङ्कश और कुण्डल उभरे हों, रोमराजि साँप की तरह मुड़ी हुई हो, ललाट अर्धचन्द्र की तरह सुन्दर हो, दाँत मोती की तरह चमकते हो इन लक्षणों से युक्त वनिता के विषय में कहा जाता है कि वह चक्रवर्ती की पत्नी होती है। इसी तरह दुष्टा स्त्रियों के लक्षणों की चर्चा भी लक्ष्मण करते हैं
SR No.521861
Book TitleApbhramsa Bharti 2005 17 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size6 MB
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