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________________ प्रकाशकीय अपभ्रंश भाषा और साहित्य में रुचि रखनेवाले अध्येताओं के लिए 'अपभ्रंश भारती' का यह (15-16वाँ) अंक प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है। भारतीय आर्यभाषाओं की श्रृंखला में 'अपभ्रंश' का स्थान एक ओर प्राकृत तथा दूसरी ओर हिन्दी आदि आधुनिक आर्यभाषाओं को जोड़नेवाली कड़ी के रूप में है। अपभ्रंश तत्कालीन जन-जीवन के लोक-व्यवहार की महत्त्वपूर्ण भाषा रही है। भाषाविकास के क्रम में ऐसी अवस्था आती है जब जनभाषा/जनबोली साहित्यिक भाषा बन जाती है। ईसा की दो शताब्दी पूर्व की जनभाषा अपभ्रंश ने ईसा की छठी शताब्दी तक आते-आते एक साहित्यिक भाषा के रूप में अपनी पहचान बनाली। लगभग एक हजार वर्ष तक इस भाषा में विपुल मात्रा में साहित्य रचना हुई। उस अपभ्रंश भाषा और उसके साहित्य के अध्ययन-अध्यापन के लिए सन् 1988 में दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' की स्थापना की गई। _ अकादमी द्वारा अपभ्रंश के अध्यापन के लिए पत्राचार के माध्यम से 'अपभ्रंश सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम' तथा 'अपभ्रंश डिप्लोमा पाठ्यक्रम' अखिल भारतीय स्तर पर संचालित हैं। अपभ्रंश भाषा में अध्ययन-अध्यापन को सुगम बनाने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ', 'अपभ्रंश काव्य सौरभ', 'अपभ्रंश अभ्यास सौरभ', 'अपभ्रंश : एक परिचय', 'प्रौढ़ अपभ्रंश रचना सौरभ, भाग-1', 'प्रौढ़ प्राकृत अपभ्रंश रचना सौरभ, भाग-2', 'अपभ्रंश ग्रामर एण्ड कम्पोजिशन (अंग्रेजी)', 'अपभ्रंश एक्सरसाइज बुक (अंग्रेजी)', 'अपभ्रंश पाण्डुलिपि चयनिका' आदि पुस्तकें भी प्रकाशित की गईं हैं। अपभ्रंश भाषा से सम्बन्धित लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए 'स्वयंभू पुरस्कार' भी प्रदान किया जाता है। जिन विद्वान् लेखकों के लेखों ने पत्रिका के इस अंक को यह रूप प्रदान किया उनके प्रति आभारी हैं। पत्रिका के सम्पादक, सहयोगी सम्पादक एवं सम्पादक मण्डल धन्यवादाह हैं। इस अंक के पृष्ठ-संयोजन के लिए आयुष ग्राफिक्स, जयपुर तथा मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स प्राइवेट लिमिटेड जयपुर भी धन्यवादाह हैं। नरेशकुमार सेठी अध्यक्ष नरेन्द्र पाटनी मंत्री प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी (v)
SR No.521860
Book TitleApbhramsa Bharti 2003 15 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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