________________
अपभ्रंश भारती 15-16
लक्ष्यार्थ कहते हैं। यथा- कवि धाड़ीवाहन के गुणों का वर्णन करता हुआ कहता है- उसका हाथ धन देने के लिए पसरता तो था, किन्तु उसका धनुष प्राणी का वध करने के लिए सरसंधान नहीं करता था
धणु देवएँ पसरइ जासु करु, णउ पाणिवहेव्वई धरइ सरु। 1.5.5
- यहाँ न तो हाथ अपने आप धन देने के लिए पसरता है और न धनुष स्वयं वाणसंधान करता है, बल्कि करनेवाला तो राजा है। इस प्रकार कथन करके कवि ने चमत्कार पैदा कर दिया है। यह चमत्कार लक्षणाजन्य होने से यहाँ लक्षणा-शक्ति है। फिर, 'पसरना' (पसारना, फैलाना) शब्द पैरों के सम्बन्ध में प्रयुक्त होता है, हाथों के साथ नहीं। यहाँ कवि अधिक से अधिक हाथों को बढ़ाकर धन देने की बात कहता है। इसी से लक्षणा-शक्ति है।
___ दूसरी सन्धि के 18वें कड़वक में प्रयुक्त 'बुज्झु' शब्द में लक्ष्यार्थ है। इसका प्रयोग मन-बुद्धि से भली प्रकार समझने तथा निर्णय लेने के लिए किया गया है। करकण्ड को वणिक ने जो उच्च पुरुष की कहानी सुनाई उसके मर्म को हृदयंगम करने के विचार से इस शब्द का प्रयोग हुआ है। अत: लक्षणा-शक्ति हैएह उच्च कहाणी कहिय तुज्झु, गुण सारणि पुत्तय हियइँ बुज्झु । 2.18.8
मदनावली के चित्रपट को देखते ही करकण्ड के हृदय में मदन का वाण प्रविष्ट हो
गया
तहिं रूउ सलक्खणु तेण दिट्ठ, णं मयणवाणु हियवएँ पइट्ठ । 3.4.10
मदन (कामदेव) का शरीर तो पुष्पों का बना होता है, वह दिखलाई नहीं देता,. बल्कि उसका प्रभाव इन्द्रियों के माध्यम से मनुष्य के शरीर पर होता है। यहाँ हृदय में बाण के प्रविष्ट होने का तात्पर्य राजा के आसक्त होने से है। इसी से लक्षणा-शक्ति है।
जब मदनावली और करकण्ड का विवाह होता है माता पदमावती आ जाती है। विवाह से गद्गद होकर वह उसे आशीर्वाद देती है
चिरु जीवहि णंदण पुहइणाह, कालिंदी सुरसरि जाव वाह। 3.9.4
अर्थात् जब तक गंगा-जमुना की धार बह रही है, चिरंजीव हो। गंगा-जमुना तो युगों से बह रही है और बहती रहेगी। लेकिन कोई व्यक्ति युगों तक जीवित नहीं रह सकता। लेकिन माता-पिता और गुरुजनों की ऐसी ही कामना होती है, इसी से ऐसा आशीर्वाद दिया जाता है कि बहुत दिनों तक चिरंजीव रहे। इसलिये लक्षणा-शक्ति है।
रतिवेगा से बिछुड़ने के बाद समुद्र में कनकप्रभा उसे देखकर मुग्ध हो गई। इसी भाव की अभिव्यक्ति के लिए कवि ने 'हियवइँ संचडिय' (7.14) अर्थात् वह उसके हृदय पर चढ़ गया, उसको पसन्द आ गया, अत: उसकी अनुरक्ति के भाव को यह कहकर व्यक्त किया गया है।