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________________ अपभ्रंश भारती 15-16 से प्रारम्भ होता है। कुमार-काल में वे जब पिता के स्थान पर स्वयं जनक की सहायता के लिए चल पड़ते हैं और कहते हैं- 'तात्! मेरे रहते हुए आपका युद्ध में जाना उचित नहीं है।' उनके इस कथन से एक ओर पिता के प्रति अगाध प्रेम का पता चलता है तो दूसरी ओर उनके पराक्रम और उत्साह का भी। आदर्श पुत्र - राम एक आदर्श पुत्र के रूप में दिखाई देते हैं। वे विकट से विकट परिस्थिति में भी पिता की आज्ञा-पालन करते हैं। राम-वनवास के वचनों को सुनकर लक्ष्मण क्रोध से तिलमिला उठते हैं, तब दशरथ किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। इस पर राम दशरथ को आदर्श पुत्र के लक्षण बताते हए कहते हैं - _ 'पुत्र का पुत्रत्व इसी में है कि वह कुल को संकट-समूह में नहीं डालता, वह अपने पिता की आज्ञा धारण करता है और विपक्ष का प्राण नाश करता है, गुणहीन और हृदय को पीड़ा पहुँचानेवाले पुत्र शब्द की पूर्ति करनेवाले पुत्र से क्या? आप तप साधे, शक्ति को प्रकाशित करें। हे पिता! मैं वनवास के लिए जाता हूँ।' स्नेही गृहस्थ - पारिवारिक जीवन में राम परिवार के सभी सदस्यों से स्नेह करनेवाले हैं। पिता के समान ही राम अपनी माता अपराजिता और दशरथ की अन्य रानियों से स्नेह रखते हैं। कैकेयी ने जब राम के लिए वनवास माँगा तो राम के मन में उसके प्रति तनिक भी आक्रोश नहीं हुआ। वे पिता की आज्ञा मानने को सहर्ष तैयार हो जाते हैं। वे माँ अपराजिता को भी बहुत स्नेह करते हैं। वनवास जाते समय वे माँ को ढाँढस बँधाकर तथा अन्जाने में की गई भूलों के लिए क्षमा माँगकर वनवास के लिए रवाना होते हैं। . राम का अपने भाइयों के प्रति भी बहुत स्नेह है। इसीलिये उन्होंने भरत को राजसिंहासन सहर्ष दे दिया। उनके हृदय में क्षणमात्र भी रोष या ईर्ष्या नहीं हुई कि मेरे छोटे भाई को राज्य मिल रहा है! भरत जंगल में जाकर उन्हें वापस चलने लिए अनुनय-विनय करता है किन्तु राम उन्हें मर्यादा का उपदेश देते हुए लौटा देते हैं। राम दूसरी बार भी उन्हीं के सिर पर राजपट्ट बाँधते हैं। लक्ष्मण के प्रति तो उनका अथाह प्रेम है जिसकी परीक्षा भी अत्यधिक कठिन है। इस बात का प्रमाण यह है कि लक्ष्मण को वन में अपने साथ ले जाना। लक्ष्मण के शक्ति लगने पर राम विलाप करते हुए कहते हैं - 'प्रिय! यम (मृत्यु) ने तुम्हारा और हमारा क्या कुछ नहीं किया? कहाँ तो माता गई और नहीं मालूम पिताजी कहाँ गये हैं? हे विधाता! तुम्हीं बताओ इस प्रकार भाइयों का विछोह कराकर तुम्हें क्या मिला? तुम्हारी कौनसी कामना पूरी हो गयी?'' इस प्रकार का विलाप लक्ष्मण के प्रति अगाध प्रेम का द्योतक है।
SR No.521860
Book TitleApbhramsa Bharti 2003 15 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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