SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपभ्रंश भारती 11-12 अक्टूबर 1999, अक्टूबर 2000 - 95 रोडा- कृत 'राउलवेल' का काव्य-सौन्दर्य डॉ. महावीरप्रसाद शर्मा 44 महाकवि रोडा - कृत 'राउलवेल' (राजकुल विलास ) एक भाषा - काव्य है । 11वीं शताब्दी के इस शिलांकित भाषा - काव्य की भाषा तत्कालीन समाज में प्रचलित पुरानी कोसली का एक सुन्दर उदाहरण कही जा सकती है । 'उक्ति-व्यक्ति प्रकरण' की भूमिका में डॉ. सुनीतिकुमार चटर्जी कहते हैं कि 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण' के माध्यम से जिस प्रकार नव्य- भारतीय आर्यभाषाएँ मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं से विकसित हुई हैं उसके अध्ययन के लिए हमें कुछ मूल्यवान सामग्री प्राप्त हुई है। इसमें हमें मुख्यत: कोसली (या पूर्वी हिन्दी) और साधारणत: ऊपर और नीचे की गंगा की घाटी की आर्य बोलियों के इतिहास का अध्ययन करने के लिए एक अत्यन्त महत्वपूर्ण साक्ष्य मिला है। ...... जिस भाषा का विवरण इसमें दिया गया है वह निस्संदेह एक वास्तविक बोलचाल की भाषा का उदाहरण है वह पश्चिमी अपभ्रंश की भाँति की कोई कम या अधिक कृत्रिम साहित्यिक भाषा मात्र नहीं है, और इसलिए 'उक्ति-व्यक्तिप्रकरण' का मूल्य नव्य भारतीय आर्यभाषा शास्त्र के अध्ययन के लिए और भी अधिक है । " ।" 1' राउलवेल' भी ' उक्ति-व्यक्ति प्रकरण' के समान दूसरी मूल्यवान सामग्री है। इस संदर्भ - डॉ. माताप्रसाद गुप्त का यह कथन नितान्त विचारणीय है, जब वे कहते हैं कि - "यह ' उक्तिव्यक्ति-प्रकरण' से भी पूर्व की रचना है, जो किसी पण्डित द्वारा केवल भाषा-परिचय के लिए नहीं प्रस्तुत की गई है, जिस प्रकार 'उक्ति-व्यक्ति प्रकरण' की गई है, बल्कि एक कवि की
SR No.521858
Book TitleApbhramsa Bharti 1999 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy