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________________ अपभ्रंश भारती - 9-10 57 (2) रानी के दोहले को प्रत्यक्ष करना। (पहली संधि) (3) बरसाती परिवेश में राजा-रानी का हाथी पर सैर करना। (पहली संधि) (4) हाथी का उन्मत्त होना और राजा-रानी को जंगल की ओर ले भागना । (पहली संधि) (5) रानी के पहुंचने पर उजाड़ वन का हरा-भरा होना। (पहली संधि) (6) पहली पत्नी का दूसरी के साथ ईर्ष्या-भाव होना और उसे घर से निकालना। (पहली संधि) (7) मनुष्य के हाथ में ललित पट देखकर और उसमें सलक्षण रूप निहारकर मदन-विभोर होना। (तीसरी संधि) (8) खेचर द्वारा नंदनवन में करकंड-संबंधी गीतों का गाया जाना और मदनावती का मूछित होना। (तीसरी संधि) (9) मदनावती के अपहरण पर राजा का विलाप और तत्क्षण एक विद्याधर का प्रकट होना। (पाँचवीं संधि) (10) करकंड का सिंहल-द्वीप में रमण करते समय वट-वृक्ष के पत्तों को वाण से छेदना और रतिवेगा से विवाह । (सातवीं संधि) (11) समुद्र-मार्ग से लौटना तथा विशालकाय मत्स्य से युद्ध। (सातवीं संधि) (12) यानों का टकरा जाना और रतिवेगा का मूछित होना। (सातवीं संधि) (13) राजा के भटकने पर समुद्र में कनकलता के साथ तिलक-द्वीप में उसका विवाह होना। (सातवीं संधि) (14) उज्जैनी नगरी के मंत्री की घोड़ी को गर्भिणी होते हुए एक सुआ द्वारा देखा जाना। (आठवीं संधि) (15) एक ग्वाले का आना और सुआ द्वारा उसे नगर में ले जाकर राजा के हाथ बेचने की प्रार्थना करना। (आठवीं संधि) (16) राजा के आने पर सुआ का राजा को आशीर्वाद देना और आने का कारण पूछने पर एक कपट कहानी रचना। (आठवीं संधि) (17) सुआ ने पर्वत पर आकर घोड़ा-घोड़ी के सहवास की बात कही, जिससे बछेड़ा उत्पन्न हुआ। राजा का उस बछेड़ा को जाकर स्वयं लाना। (आठवीं संधि) । (18) बछेड़े पर सुए के साथ राजा की यात्रा। मना करने पर भी राजा द्वारा चाबुक लगाना। (आठवीं संधि)
SR No.521857
Book TitleApbhramsa Bharti 1997 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size10 MB
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