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________________ 16 अपभ्रंश भारती - 8 भविष्यदत्त की रक्षा उसके मित्र करते हैं । इसी तरह कर्म का माहात्म्य और भी अन्य घटनाओं से सिद्ध किया गया है। इस्लाम में पुनर्जन्म को स्वीकार नहीं किया गया इसलिए सूफी कवि कर्मफल और पुनर्जन्म का प्रसंग अपने काव्यों में नहीं ला पाये, इतना अवश्य है कि वहाँ नायक आत्मा का प्रतीक है और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में एक गुरु का चयन करता है । गुरु और परमेश्वर उसके लिए पर्याय मात्र है। हीरामन इसी अर्थ में रत्नसेन और पद्मावती का गुरु है । केवल मंझनकृत 'मधुमालती' में कवि जन्म-जन्मांतर तक प्रेम निभाने की बात अवश्य करता है। अमानवीय शक्तियों की उपलब्धि - भारतीय दर्शनों के अनुसार आत्मा में अपरिमित शक्ति मानी गयी है जिसका प्रस्फुटन पवित्र साधना द्वारा संभव है । इसी साधना से विद्यासिद्धि और अमानवीय शक्ति की उपलब्धि जुड़ी हुई है। कहा जाता है व्यंतर, भूत-प्रेत, विद्याधर आदि देवों में अमानवीय शक्ति होती है जिसका उपयोग वे मानवों की सुरक्षा और विनाश में किया करते हैं । लोक-प्रचलित विश्वासों से सम्बद्ध कथानक रूढ़ियाँ लोक- प्रचलित विश्वासों के पीछे वैज्ञानिकता कम और अंधविश्वास अधिक होता है । कवि इनके सहारे कथानक का विकास करता है। स्वप्न, शकुन-अपशकुन, भविष्यवाणी, दोहद, विवाह, जन्म-संस्कार आदि जैसे विश्वासों एवं उत्सवों को इस परिधि में रखा जा सकता है। प्राकृत और हिन्दी साहित्य में इन विश्वासों का आधार लेकर कथानक को गति दी गयी है । - स्वप्न और शकुन • स्वप्न भावी घटनाओं का सूचक माना जाता है। त्रेषठ शलाका पुरुषों की तथा अन्य महापुरुषों की मातायें स्वप्न देखती हैं और अपने पतियों तथा ज्योतिषियों से उनका फल जानती है। सिंह, हाथी और पशु-पक्षियों का स्वप्न में दर्शन होना और फिर प्रतीक के रूप में उनकी व्याख्या करना एक आम बात थी। श्रीदेवी, लीलावती आदि नायिकायें इस संदर्भ में उदाहरणीय हैं। शुभ-अशुभ स्वप्नों पर भी यहाँ विचार हुआ है। दक्षिण नेत्र का स्फुरण शुभ शकुन और वाम नेत्र का स्फुरण अशुभ माना जाता है। अशुभ घड़ी में भविष्यवाणी या आकाशवाणी द्वारा नायक का उलझाव दूर होता है। भविष्यदत्तकथा में सुभद्रा के शील की परीक्षा के समय चम्पानगरी के देव ने नगर द्वार को खोलने के लिए आकाशवाणी का उपयोग किया। स्वप्न-दर्शन एवं उसका रहस्य उद्घाटन तथा स्वप्न में देवता अथवा किसी वृद्ध पुरुष का दर्शन देना, इस प्रकार की स्वप्न विषयक कथानक रूढ़ि का प्रयोग सूफी साहित्य में हुआ है 1 ज्ञानदीप में नायक सूफी काव्य में स्वप्न में कवि को एक तपस्वी दर्शन देता है और उसी की अंतःप्रेरणा से काव्य-रचना होती है । विवाह और प्रेम संदेश - चित्र देखकर मोहित हो जाना भारतीय आख्यान साहित्य की एक सशक्त रूढ़ि है । पुष्पदंत के णायकुमारचरिउ में चित्रदर्शन से प्रेम की उत्पत्ति का उल्लेख है । लीलावईकहा के अनुसार लीलावती का चित्र देखकर सिंघल का राजा शीलामेघ मोहित हो गया । इसी तरह ज्योतिषियों की भविष्यवाणी के अनुसार भी विवाह सम्बन्ध की बात कही गयी है । उदाहरणार्थ जो सहस्रकूट चैत्यालय के फाटक को खोल देगा वही कन्या का पति होगा अथवा जो समुद्र पार करता हुआ द्वीप के तट पर आयेगा या मदोन्मत्त हाथी को वश में करेगा वही कन्या का पति होगा (भविसयत्तकहा) । इस प्रकार की विवाह संबंधी कथानक रूढ़ियाँ अपभ्रंश कथा
SR No.521856
Book TitleApbhramsa Bharti 1996 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages94
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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