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सामाजिक भाषा का सम्प्रयोजन सम्प्रेषण है लेकिन काव्य की भाषा का प्रभान्विति है । इसे ही भाव-योग या साधारणीकरण कहा गया है । यह प्रभाव जब मूर्त होता है तब इन्द्रियों का विषय होता है । इन्द्रियों में सर्वप्रमुख हैं नेत्र ग्रौर श्रोत्र । अतः काव्य में चाक्षुष चित्र और नाद चित्र विशेष महत्त्व के होते हैं । पउमचरिउ में ये दोनों ही प्रकार के चित्र मिलते हैं । इन चित्रों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है
1
रंग चित्र
व्यतिरेकी रंगीय चित्र
स्थिर
2
स्थिर
पउमचरिउ के काव्यचित्र
- डॉ. सुषमा शर्मा
केवल प्रकाशीय चित्र
प्राथमिक रंगीय चित्र
गतिशील स्थिर
गतिशील
गतिशील स्थिर
प्रकाश चित्र
एकवर्णी रंगीय चित्र
स्थिर
गतिशील
प्रकाश - छाया से निर्मित चित्र
गतिशील