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अपभ्रंश भारती
णच्च-नाचना
पाठ 2 तुहुं तुम क्रियाएँ हस हँसना,
सय=सोना, रूस रूसना,
लुक्क छिपना,
जग्ग=जागना जीव जीना
वर्तमानकाल हसहि/हससि हससे/हसेसि =तुम हँसते हो/हंसती हो । सयहि/सयसि/सयसे/सयेसि =तुम सोते हो/सोती हो। गच्चहि/णच्चसि/णच्चसे/णच्चेसि =तुम नाचते हो/नाचती हो। रूसहि/रूससि/रूससे रूसेसि =तुम रूसते हो/रूसती हो। लुक्कहि/लुक्कसि/लुक्कसे/लुक्केसि =तुम छिपते हो/छिपती हो ।
जग्गहि/जग्गसि/जग्गसे/जग्गेसि =तुम जागते हो/जागती हो । तुहुं जीवहि/जीवसि/जीवसे/जीवेसि =तुम जीते हो/जीती हो।
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60.
1. तुहुं=तुम, मध्यम पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम)। 2. वर्तमानकाल के मध्यम पुरुष एकवचन में 'हि', सि और से प्रत्यय क्रिया में लगते हैं ।
'सि' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'म' का 'ए' भी हो जाता है। यदि क्रिया के अन्त
में 'अ' न हो तो 'से' प्रत्यय नहीं लगता है । (देखें पाठ 4) 3. . उपर्युक्त सभी क्रियाएं अकर्मक हैं। 4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता 'तुहुं' के अनुसार क्रियाओं के पुरुष
और वचन हैं। यहां 'तुहुं' मध्यम पुरुष एकवचन में है, तो क्रियाएं भी मध्यम पुरुष एकवचन में हैं।