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શ્રી. જૈન સત્ય પ્રકાશ
[ वर्ष : २०
ध्रुव कीलकु कीजइ अस इच्छानुमान परमाण कीजई जिवडउ इच्छा होइ तेवबउ कीजइ ॥ २ ॥ नासा सनाथं कड़िकासमेतं, दुगूलदोरसहितं सफंदम् । तिर्यक् पुनः सार्वयवप्रमाणमस्योपरिष्टात् परिवेषपत्रम् ॥ १॥
टीका छोड़कर नीचे भाषा मात्र दी जा रही है:
वार्त्ताः- वली किसउ हइ सु चक्रु, नासा सहितं, नाथ सहि सहित बहुदि कड़ी साइत नाका मांहे एक लहुड़ कड़ी मांहे एक दूजी वेडरी कड़ी। कड़ी मांहे पट्टसूत्रका दोरा अने दोरा सकोमलु नाहि होता । मतकि ही कड़ीमहे जोर करइ । अड्इ मंत्रि खोड़ि पड़ई । पटसूत्रु न अदइ । यंत्र ढीलउ रहई । कुंदा सहित जिस हाथी झालतां सग्रहउ रहइ यंत्र | पुनरपि कहता भी इस चक्रु ऊपरि दउ १॥ यत्र प्रमाण मविस्तर परिवेस सारिखा बाटुलउ पत्तु दिवारि जह रेहा डियइ ॥ ३॥
अंतः - ३७वें श्लोककी भाषा टीका:
वार्त्ताः -यंत्रका जाणणहार उस्तरलाव चहुं प्रकारि कहइ । पहिला उस्तरलाउ खुदसी इसउ नाम्न। तिहां पनरह १५ रेखा । १५ पनरह चकु होवइ । चक्र चक्र मांहे विचालइ छः छः ६, ६ अंशका विचाला जाणेवा ॥ ॥ ॥
दूजा पुलसी इति नाम । तिहां त्रीस ३० रेखा त्रीस चक्र जाणेवा। विचाल त्रिहुँ त्रिहुँ अंसकका करकु ॥ ३॥
चथा तयाम इति नाम तिहां नव्वय ९० रेखा । नब्वय ९० चक्रा एक एक चक्रु एक एक अंसकु जाणीवउ । इति चिहुं प्रकार उस्तरलाउ जाणणा ॥४॥ इति उस्तरलावभेदाः ||१||
उस्तरामध्ये बड़ा चक्कु । नवमा तवक अतलसका । नवमा तवकका नाम अतलस । आठ तवक तिस वीचि दहइ तीनसय साठि ३६० अंसक सायत मुस्तकी मनित्येक रूपः । नवमा तवक मांहे । नक्षत्र तारा तारा किछु नहिं । त्रीनसय साठि ३६० ऊपरि ९३ । रेख देहि दइ ॥ १ ॥
आतसी
दिन रात्रि मां शायत मुस्तको मनाहिं कतुं छटइ वधइ || १|| मेषादि राशि १२ तिन्दकी प्रकृति च प्रकारि यथा आतसी १ खाकी २ बाई ३ आवी ४
लेखन--सं० १६०० वर्षे चैत्र वदि ८ खौ...आगे हरताल फेरी हुई है.
खाकी | आवी
यंत्र
३
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बाई
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