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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir પકવિંશતિ ગ્રંથ [t ५. अहिंसापदविषये -१ कुंभकारभूपति सम्बन्ध. २ संग्राम सोनी सम्बन्ध. ३ दाम नक दृष्टान्त. ६ मृषावादविषये-१ द्रौपदी गोत्रसत्य पंचक कथा. २ सागराग्निशिख कथा. ३ कौशिक तापस दृष्टान्त. ७ अस्तेयपदविषये-१ शीलदेव सम्बन्ध. धर्मबुद्धि कुबुद्धि दृष्टान्त. ३ गर्गर्षि कथानक. ४ सुदत्तश्रेष्ठि सम्बन्ध. ५ रांका बांका संबन्ध. ८ मैथुनविरमणवते-१ धर्मदत्त कथानक. २ श्रीपति कथा. ३ सीता संबन्धः ४ सुंदरी पतिव्रता कथा. ५ श्रेष्ठि कुबेरदत्त कथा. ६ कालिका चरित. ९ परिग्रहपरिमाणवते–१ केशव काष्ठहारक कथा. २ शिवदत्त सोमदत्त कथा. ३ मीया सिलेमा बीबी फत्तू उदाहरण. ४ आम्रकार्पटक दृष्टान्त. १० क्षान्तिपदषिये-१-२ राम-लक्ष्मण कथा. ३ श्रीकृष्णसंबन्ध. ४ कालवेश्यिक. ५ अग्निशर्मा दृष्टान्त. ६ ग्राममहत्तर चोर सेनानी संबन्ध. ८ मुनिका दृष्टान्त. ७ विक्रमनृप दृष्टान्त. ११ मादेवपदे-१ पांडव दृष्टान्त. २ विक्रमादित्य संबन्ध. ३ रामचंद्र मान त्याग वि. विक्रमादित्य संबन्ध. ४ रामचंद्र कथा. ५ विक्रमादित्य संबन्ध, १२ मार्जव पदे-१ साध्वी वीरमती दृष्टान्त. २ रुक्मिणी दृष्टान्त. ३ लक्ष्मणार्या संबन्ध, ४ पांडुरार्या संबन्ध. १३ लोक विषये-चक्रक्रान्त वणिक कथा. २ कुट्टिनी. ३ शंकल श्रेष्ठि कथा. ४ सगर श्रेष्ठि कथा. ५ वल्मीक भेदि वणिक कथा. उपर्युक्त कथासूचीसे ग्रन्थकारकी गुगग्राहकता और विशाल अध्ययनका परिचय मिलता है। इनमें से कई कथाएं तो पूर्ववर्ती जैन ग्रन्थोंसे ली गई हैं, कई लोककथाओंके रूपमें प्रचलित हैं। जीवदया पर अणीमाण्डव्यका दृष्टान्त ग्रन्थकारने पौराणिक बतलाया है, जिसे महाभारतके आदि पर्वसे उद्धृत करनेका उल्लेख कथाके ४४वें श्ले'कमें पाया जाता है । कपोतमिथुन दृष्टान्तको भी ग्रन्थकारने पौराणिक कहा है। इसी प्रकार परिग्रह संतोष पर मीया सिलेमा बीबीफत्तू का उदाहरण कुरानशरीफसे लिया गया है। संग्रामसिंह, जगडूशाह, कुमारपाल, कर्णदेव मीनलदेवी, धनपाल, राकाबांका, सिद्धसेन, विक्रम आदि कथाएं ऐतिहासिक हैं। प्रन्थमें कहीं कहीं पर प्राचीन व प्रसिद्ध दोहे भी उद्धृत किये गये हैं। निम्नोक्त गद्य For Private And Personal Use Only
SR No.521708
Book TitleJain_Satyaprakash 1954 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1954
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size11 MB
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