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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SAHASRANSam 2 R राणकपुर, तारंगा, नाडुलाई व नडूलके कतिपय लेख लेखक : श्रीयुत भंवरलाल नाहटा, बीकानेर गत कार्तिक शुक्ला एकादशीको रवाना होकर काकाजी श्रीअगरचंदजी नाहटाके साथ जोधपुर जाना हुआ। पू० बुद्धिमुनिजी महाराजका दर्शन कर वहाँ पड़ी हुई कतिपय हस्तलिखित प्रतियोंको देख, ज्ञानभंडारोंके सम्बन्धमें पूछताछ की और द्वादशीको महावीरजी मंदिर स्थित पू० यशःसूरिजीका संग्रह देखा । मध्याह्नको पू० बुद्धिमुनिजीके सहयोगसे जितना देख सके देखा बाकी रात्रिको ११ बजे तक देखके हम दोनोने अवलोकन पूर्ण किया। तदन्तर त्रयोदशीको केशरियानाथजीके मन्दिरमें स्थित खरतरगच्छीय संघके प्राचीन भंडारका अवलोकन प्रारंभ किया, पर भंडार बडा था । उस दिन अवलोकन समाप्त नहीं कर सके अतः महान् संत योगिराज भद्रमुनिजीके दर्शन कर चारभुजारोडसे वापिस आकर मार्गशीर्ष कृष्णा १ को काम पूरा किया। इस मंदिरमें पचासों अज्ञात ग्रन्थों की उपलब्धि हुई। केशरियानाथजीके भंडारका अवलोकन करते हुए हमें बड़ा आश्चर्यजनक आनंददायक अनुभव यह हुआ कि वह जिन खरतरगच्छाधीश यतिजीका परम्परागत संग्रह है वे बड़े इतिहासप्रेमी प्रतीत हुए । आजसे ६०।७० वर्ष पूर्व जब जैन समाजका आधुनिक इतिहास पद्धतिकी ओर ध्यान प्रायः नहीं गया था तब एक यतिजीका इतना उत्कट इतिहासप्रेमके प्रमाण पाकर आश्चर्य होना स्वाभाविक था। इन प्रमाणोंमें दो प्रतियोंका उल्लेख करना यहाँ परमावश्यक है। एक प्रतिमें कई ब्राह्मीलिपि आदिके प्राचीन लेखोंकी मूललिपिमें नकलें की हुई थी। दूसरी प्रतिमें आबू, अचलगढ़, राणकपुर, नाडोल, नाडलाई, तारंगाके जैनलेखोंके साथ ताम्रशासनोंकी नकलें संग्रहित हैं। ध्यान देने पर विदित हुआ कि यह कार्य अंग्रेजीके ऐतिहासिक अन्वेषण पर आधारित है। तत्कालीन प्रकाशित रिपोर्टी, गजटियरों व एपिग्राफी For Private And Personal Use Only
SR No.521696
Book TitleJain_Satyaprakash 1953 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1953
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
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