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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विश्वकोष व शब्दप्रभेदके रचयिता महेश्वर जैनाचार्य थे? __ लेखक : श्रीयुत अगरचंदजी नाहटा सिंघी जैन ग्रन्थमालाके ग्रन्थांक २५में महेश्वरसरिरचित 'ज्ञानपंचमी कथा' नामका महत्त्वपूर्ण प्राचीन पर्वमहाल्य ग्रन्थ प्रकाशित हुआ है। उसके संपादक डॉ. अमृतलाल स. गोपाणीने ग्रन्थकार महेश्वरसूरिका समय एवं अन्य रचनादिके निर्णय करनेके प्रसंगसे इसी नामवाले ११ व्यक्तियोंका उल्लेख किया है। उनमें नं. ७ में 'शब्दभेदप्रकाश, नं. ९-१० में लिंगभेद नाममाला' व नं. ११ में 'विश्वकोष' शब्दप्रभेदके रचयिता महेश्वरको सूरिविशेषण लगाकार जैनाचार्य होनेका भ्रमजनक उल्लेख किया गया है। उसके अनुकरणमें अन्य सज्जन भी भूल न कर बैठे अतः भ्रान्तपरम्पराको रोकनेके लिये यहां उनके वास्तविक रचयिताके सम्बन्धमें स्पष्टीकरण कर दिया जाता है। महेश्वरके उपयुक्त चारों ग्रन्थोंका उल्लेख लींबडी भंडारसूची एवं जैन ग्रन्थावलीके। आधारसे किया गया है। इनमेंसे नं. ९-१० वाले दो ग्रन्थ ऐशियाटिक सोसायटीके संग्रहमें व नं. ७-११ लीबडी भंडारमें है। जैनग्रन्थावली व लींबडी भंडारसूचीमें इनके। रचयिताका नाम महेश्वर या महेश्वरकवि लिखा है। सूरि विशेषण डॉ. गोपाणीने अपनी ओरसे लगाकर उत्पन्न कर दिया है। शब्दप्रभेदके रचयिता महेश्वरके जैमेतर होनेका सूचन मैंने अपने 'जनेतर ग्रन्थों पर जैन टीकाएँ लेख में किया था। पर डॉ. गोपाणीका उस ओर ध्यान नहीं गया। पं. सीताराम जोशी व विश्वनाथ शास्त्रीके संस्कृत साहित्यके संक्षिप्त इतिहासमें उपर्युक्त महेश्वर कविका परिचय देते हुए लिखा है कि महेश्वर (ई. ११११) इनके विरचित विश्वप्रकाश और शब्दप्रभेद कोष हैं। यह श्री ब्रह्मका पुत्र और कृष्णका पौत्र था। इनका जन्म वैद्योंके कुलमें हुआ था। यह स्वयं वैद्यक शास्त्रका भारी १ मेरे उपर्युक्त कथनका ताजा उदाहरण प्रो. ही. र. कापडियाका महेश्वरनामकसूरिओ नामक लेख है जिसमें गोपाणीकी भूलको दुहराते हुए शब्दप्रभेदादि ४ प्रन्थों के रचयिताको जैनाचार्य ४ विभिन्न व्यक्तियोंके रूपमें उल्लेख किया गया है। [ मनुधान राखि ४ ३] For Private And Personal use only
SR No.521665
Book TitleJain_Satyaprakash 1950 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1950
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
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