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બારહ ભાવના સંબંધી વિશાલ સાહિત્ય [ ૨૮૧ मौलिक रचनायें १० के करीब ही हैं, बाकीके नाम ऐसे ग्रन्थों व टीकाओं के हैं जिनमें १२ भावनाओं का वर्णन पाया जाता है अर्थात् अवान्तर ग्रन्थों की सूची ही अधिक है । ऐसे छोटे मोटे अवान्तर ग्रन्थों का मैं उल्लेख करने लगूं वो शायद उनकी सूचीसे द्विगुण हो जाय अतः लेख विस्तार मयसे मैं इस लेख में १२ भावना सम्बन्धी स्वतंत्र छोटी मोटी रचनाओंका ही निर्देश करना आव: श्यक समझता हूं और वह भी कापडिया व मुनिश्री के सूचित रचनाओं से दुगुनी चौगुनी हो ही जायगी।
(२) पाटणके ताडपत्रीय ग्रन्थसूचीमें ही ऐसी रचनाओंका निम्नोक्त निर्देश पाया जाता है। यथा१ द्वादश मावना गा. २०८ (२१०) सूची पृ. ९१-१६० २ ,, कुलक गा. ३२ जिनेश्वरसूरि
" पृ. २४ ३ " " , गा. १२ ४ भावना प्रकरण प्रा०
"पृ. २३-१६९-२९९ ५
सं० । ६ भावनासार अपभ्रंश गा.८८
पृ. २९ ७ भावना कुलक गो. ३० ८
गा. २४ सोमदेव ९ , गा. २२ यशोघोष
पृ. १८९-४१० . नं. ४ व ६ से ९ में १२ मावना का (उद्धरणों में तो) नामनिर्देश नहीं है पर विषय यही प्रतीत होता है । प्रति देखने से पूरा निर्णय हो सकेगा।
(३) जिनरत्न कोपमें निम्नोक्त रचनाओं का निर्देश है१.. द्वादशमावना विनयविजय डेहला उपासरासूची (संभव है शान्त
सुधारसका ही अपर नाम हो) ११ द्वादशमावना ( कथा ) लीघडी नं. ९६२ १२ , प्रकरण
भावना नामांकित १ भावना प्रकरण (गा. ४९४ हंस नं.८९३), २ भावनाशतक, ३ भावनासार (अजितमम ) आदिका उल्लेख है। संभवतः उनमें भी १२ भावनाओंका विवरण होगा। निर्णय तो प्रति देखनेसे हो हो सकता है।
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