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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १५८ ] શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ जुजि यक सूहरि पास दिगरि हम पियरा' दानह । आं दिगरि रोजि बुफ्ल सि१४ घुसे दर निगार षानै निषो१५ । छारिदह ष्वाविह संदिवइ १७ आषरि सौ ૧૬ विनइ हमा ॥१॥ .२० "ने किस्पे नरगाउ पीलि दरियाउ निशाना । वा नर्गिस पुरु हौदु कुम्कुरे उजलू २१ सदियाना । शमस कमर पुरु सुवो दिगरि मोहरिया तूदा कसरि अजनिफ्लिमारिष्टिगा २२ सेरि आतसि रुषसिंदा । गह सुबह सुदावेदार सुदु रफ्लु गुफ्लु वरिसूइ २४ षो२४ माविनी वाव दीदौमि सौ, चि सवइ षोदि ह काम गो१५ ॥ २ ॥ पातसाहि विससेणु पेसि अहरादिवि गोयइ । २७ पिसरि तु हमचि सवइ मुलुकि दुनिए उर" जेवइ । विस्नी दो चो चिनो कवी घुसि सुदु दिलि पासा' दमलु नेकि परवरइ निको सीरति मे वासइ । २८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चू हफ्लु रोजि नुहु माहु सुदु, शव दुपास दरि घुफ्लि गह । विहतरी वति तालिहि निको, पिसरी जादु उ हम चु मह ॥ ३ ॥ दरं सहरि मक्कूर राख्सि शादी इवि कडदनि २० । ३१ कुम्वा जाइ पि जाइ तवल नुहु गाना विजनि । मीर मुकद्दम साहि दरां शादी हरि क्यामा ३२ 1 पातसाहि विससेणि दादु हमगा रा जामा । वाग्दहम रोज सुदु नामि उर, संतिनाथ ष्वामदि महां । बुजुरुकु सुदो सिस्तो तर्षित, मुलुकु विरानइ दरि जहा ॥ ४ ॥ गोहरि पाक दुहफ्लु ३४ गंजि नुहु जरि पेरा वा । फंदलि कुननि फिरिष्टिगा शांग्दह हजारि हमा वा । દુ सस्तु छारि हज्जार कौमि दरि हर्मि निकोतरि । लख इष्टादु छहारि पोलि व अस्पि व अस्तरि । शशिनवदु क्रोडि दिहहा मिहि, कियासि पयादा हम चुनि । अलात सी उदु हजारि ओ, राया पि हम व हम दुनी ॥ ५ ॥ ० रोजि दिगरि दानिस्तु नेसि हिचि दरि जमाना । हरि वि ईसाति नुमाइ अवियक ४१ साति न माना । सदका दादा गिरिफ्लु जरों दीनार न नुकरा । For Private And Personal Use Only [ वर्ष १२
SR No.521635
Book TitleJain_Satyaprakash 1947 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1947
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size18 MB
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