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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી જૈિન સત્ય પ્રકાશ [१ १२ हवे जो बंधारणीय मार्ग नहीं पण आंदोलननो मार्ग ग्रहण करवो होय तो ते माटे आखाय समाजना आगेवानोए एकदिल अने एक ध्येयवाळा बनी आ संबन्धी पुख्त विचारणा करी, सर्व कोई सहकार आपे एवो कार्यक्रम घडी काढवो पडशे. अने ए कार्यक्रमना अमलनो प्रारम्भ एना घडवैया आगेवानोए पोते ज आगळ पडीने करवो पडशे; आवा कार्यक्रमना घडवैया आगेवानोमां चतुर्विध श्रीसंघनां चारे अंगोनो समावेश थाय ए कहेबानी जरूर नथी. बंधारणीय मार्गे अनेक प्रयत्नो सफळ थयाना अने आंदोलनने मार्गे पण अनेक कार्यो सिद्ध थयाना दाखलाओ अनेक मळे एम छे, एटले अमुक ज मार्ग सारो अने अमुक नकामो एम कही शकाय नहीं. आपणे जे कई निर्णय करवानो छे ते उदेपुर राज्य, श्री केसरियाजी तीर्थ अने ए संबन्धी तमाम परिस्थितिनो पूरेपूरो विचार करीने करवानो छे. श्री केसरियाजी तीर्थ अंगेना आ कारमा प्रसंगमा कयो मार्ग वधु उपयोगीथई पडे ? -बंधारणीय मार्ग के आंदोलननो मार्ग ? -ए संबंधी भा तबक्के निर्णय आपवो अति मुश्केल अथवा अशक्य छे, अने एवो निर्णय आपवानुं काम कोई एक व्यक्तिनुं न होय. एटले श्री केसरियाजी तीर्थ सम्बन्धी वस्तुस्थितिनो विगतवार ख्याल मात्र आपी अमे संतोष मानीए छोए. अने साथे साथे भारपूर्वक एटलुं सूचवीए छीए के आ प्रश्न केवळ केसरियाजी तीर्थ पूरतो ज नथी. पण, आमां जो आपणे ढीलाश दाखवी अने आपणु परिबळ न दाखव्युं तो, आवती काले आपणां बीजां तीर्थों उपर पण आवा ज प्रकारनी आफतो आवी पडवानी पूरी पूरी शक्यता छे, एटले आ एक दाखला उपरथी ओपणे जाग्रत थईए अने 'पाणी आवतां पहेला पाळ बांधवा' ना कामे लागी जईए ए बहु ज जरूरनुं छे. अमे आशा राखीए छीए के आपणे सौ-पूज्य श्रमणसमुदाय समेत आपणा आगेवानोजागरुक अने प्रयत्नशील बनीने आपणा ग्रामप्रिय तीर्थ उपर - एटले के आपणा पोताना ज अंग उपर - आवी पडेली आफतनो प्रतिकार करवानो मार्ग अवश्य शोधी काढीशु. आपणा सौनां तन-मन - धनना समर्पणना पाया उपर ज आ प्रतिकारनी दीवाल चणी शकाशे ए आपणे सौ समजी लईए. शासनदेव एवा उज्ज्वल समर्पण माटे आपण सौने बल अने बुद्धि आपे ए प्रार्थना साथे अमे अमारूं वक्तव्य पूरुं करीए छीए, For Private And Personal Use Only
SR No.521633
Book TitleJain_Satyaprakash 1947 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1947
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size22 MB
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