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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सामसेन-" या" [८८ सन्ध्या येन न विज्ञाता, सन्ध्या येनानुपासिता । [सन्ध्याकाले तु सम्प्राप्ते, सन्ध्या नैवमुपासते] । जीवमानो भवेच्छूद्रः मृतः श्वा चैव जायते ॥ ___ -मरीचि० आहनिकसूत्रावली ॥ त्रि० ३-१४१ ॥ पितृवेश्मनि या कन्या, रजः पश्येदसंस्कृता । सा कन्या वृषली ज्ञेया, तत्पतिवृषलीपतिः ॥ त्रि० ११-१९६ ॥ -विष्णुसंहिता २४--४१ ॥ उद्गाहतत्त्व ॥ ब्रह्मवैवर्त पुराण ॥ ऋतुस्नाता तु या नार। भर्तारं नोपसर्पति । सा मृता नरकं याति विधवा च पुनः पुनः ॥ पाराशरस्मृति ४--१४॥ ऋतुस्नाता तु या नारी भर्तारं नोपसर्पति । शुनी वृफी शृगालस्या-च्छूकरी गर्दभी च सा ॥ त्रि० ८-५०॥ इन उल्लेखोंमें त्रिवर्णाचारके कर्ताका जो पाठभेद है वह [ ] इस प्रकार कोष्टकमें बतलाया है। ७-इसमें कई बातें आ० जिनसेनके वचन (आदिनाथपुराण) से खिलाफ भी हैं। देखिए ५३ क्रियाओं के स्थानमें ३३ क्रियाएं बतलाई (अ. ८ श्लो० ४ से ८)। प्रीति, सुप्रीति, वधृति क्रियाएं उडा दी (८-५१, ५२) । पुंसवन और सीमन्त क्रिया बढा दी (८-६३, ७२ )। गर्भाधान और पुंसवनका कालपरावर्तन (८-८०)। चारो वर्गीके बालकोंका नाम रखनेके लिए दिवस-परावर्तन (८-१११)। कर्णवेधन व आंदोलारोपण क्रिया बढा दी। गमनक्रिया भी बढा दी (८-१४०)। उपनयनसे पहेले शास्त्र पढनेका विधान (८-१८१)। लिपि संस्थान संग्रहमे मुहूर्तकथन एवं क्षेत्रपाल-पूजाकथन (८-१६५, १६९)। योनिस्थ देवपूजन, विधि, मंत्र (८-४२) ॥ झूठे मंत्र बना दिये (अ. ५, ८ वगैरह) ॥ १५ व १९ क्रियाओंकी संख्याका भंग (८-१८२)। उपनयनकालमें वर्ण-भेद घुसाया (९-३से६)। व्रतावतरण क्रियाके स्थानमें असंगतपना । स्वयंवर विधिकी आवश्यकतामें ख्याल-भेद (११-८३)। विवाहके ८ भेदका विधान (११-७० से ७८)। जलदेव गृहदेव नागदेव वगैरहका पूजनविधान (अ. ११ श्लो. ६१, ६३, १३३, १३४, १६४ )। अघोर मंत्रका विधान ॥ नये वर और वधूको ७ के बजाय ३ दिन ब्रह्मचर्यपालनका फरमाना (११-१७२, १७३, १७८) वस्त्रवालेकोभी नंगा बताना (३-२१,२२,२३)। ८. त्रिवर्णाचारमें ज्ञानार्णवकी कई बातोंसे भी विभिन्नता है, जैसे कि For Private And Personal Use Only
SR No.521627
Book TitleJain_Satyaprakash 1946 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1946
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size17 MB
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