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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - २४.1 श्रीन सत्य प्रस २ सिंही-हष्टिनोः सनन्दनयोः संवाद, ६ गोधुम-चणकयोः संवाद, ७ पंचानामिद्रियाणां संवाद, ८ मृग-मदनयोः संवाद, ९ दानादिचतुष्कसंवाद-ये ९ संवाद गवमें लिखे गये है। पं. होरालालने जामनगरसे इसे प्रकाशित किया था। फुटकर पत्रोंमें ज्ञानक्रियासंवाद एवं कल्पसूत्रकी टीकामें "करसंवाद" पाया जाता है । लोकभाषामें रचित संवादोंकी अधिकता है, पर उनमेंसे दानादि चौढालिया (संवाद शतक) समयसुन्दरजी रचित, पंचसमवाय स्तवन (संवाद) विनयविजयजीरचित एवं यशोविजयजीरचित · समुद्र-वहाण संवाद ' के अतिरिक्त सभी अप्रकाशित हैं, अतः इस लेखमें ज्ञात संवादोंकी सूची दी जा रही है । आशा है इन्हें एवं इनके अतिरिक्त जो भी संवाद प्राप्त हों उन्हें शोध ही प्रकाशित किया जायगा। लोकमाषामें रचित जैन संवाद १ अंजनासुंदरी संवाद सं. १६८९ ।। लुणसागर २ आंखि-कान संवाद सहजसुंदर (हमारे संग्रहमें है) ३ उद्यम-कर्म संवाद सं. १६९८ लगभग कुशलधीर - ४ करसंवाद सं. १५७५ लावण्यसमय ५ करसंवाद सं. १७४७ आखातीज, अभयसोम (हमारे सग्रहमें है) ६ कस्तुरी-कर संवाद मुनिशील. ७ काया-जीव गाथा २५ दाम (नैन !) .८ कृपणनारी , गाथा ८१५वीं शताब्दि लिखित ९ गोरी-सांवल गीत गाथा ६३ लावणसमय१० जीभ-दांत संवाद गाथा ४१ सं. १६४३ बीकानेर हीरकलश ११ दानादि , शतक सं. १६६२ . सांगानेर समयसुन्दर १२ नेमिराजमती , (चौक) सं. १८३९ अमृतविजय १३ पंच समवाय , स्तवन विनयविजय १४ पंचेन्द्रिय , चौपाई सं. १७५१ भा. सु. २ आगरा बालचन्द्र १५ पंचेन्द्रिय , चौपाई रूपचन्द्र १६ मोती कपासिया संवाद सं. १६२६ । हीरकलश १७. सं. १६८९ फलौदी श्रीसार १८ योवन जरा सहजसुन्दर १९ रावण मंदोदरी " सं. १५६२ लावण्यसमय २० " " , राजकवि (आदि पत्र संग्रहमें) २१ , , , जिनहर्ष २२. " " सुधनहर्ष सेनापुर For Private And Personal Use Only
SR No.521625
Book TitleJain_Satyaprakash 1946 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1946
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size18 MB
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