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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन इतिहास में लाहौर लेखकः श्रीमान् डॉ. बनारसीदासजो मैन, M. A., Ph D. [लेखांक १] नाम-लाहौर बड़ा प्राचीन नगर है। यह कई सौ बरसों से पंजाब की राजधानी रहा है। पंजाबी लोग इसे “ लाहौर", "ल्हौर" कहते हैं। फारसी की किताबों में इसको "लहावर, लोहावर, लहावूर, लहवर, रहवर" इत्यादि करके लिखा है। अमीर खुसरो ने इसे “लाहानूर" के नाम से भी पुकारा है-जैसे, __ अज़ हद्दे सामानिया ता लहानूर। हेच इमारत नेस्त मगर दारे कसूर॥ __ [किरनुस्सअदैन] कुछ प्राचीन जैन लेखकोंने भी इसे यही नाम दिया है। जैसे१. अमृतसर भंडारकी ‘अणुत्तरोववाइय' की प्रतिकी पुष्पिका संवत् १५९१ वर्ष कार्तिक वदि ९ दिने गुरुवासरे सहगलगोत्रे परमपुरुष हींगा तत्पुत्र माणिक तत्पुत्र लद्धा श्री वृद्धगच्छे श्री मुनीश्वरसंताने श्री पुण्यप्रभसूरि तसिष्य वा० श्री भावदेवाय सिद्धांतस्य पुस्तकं स्वपुण्यार्थ श्री लाहानुरपुरे॥ २. पट्टी भंडारकी 'जंबुद्दीवपण्णत्ति' की पुष्पिका संवत् १७६४ वर्षे मिति १४ शुक्लपक्षे वार बुधवारे श्री ५ पूज्य जी हरीदासजी तस्य शिष्य मणसा विग तत्र लिषतं लाहानूर मधे कुतबषांकी मंडी। ३. पट्टी भंडारके 'कर्मग्रन्थ की पुष्पिका लिषतं मलूका ऋषि संवत् १७६५ अश्वन शुदि ६ मंडी कुतबषां की गळे सिंधराज का। ४. पंजाब यूनिवर्सिटी लाइब्रेरीके संस्कृत विभागके हस्तलेख नं. ८४९की पुष्पिका संवत् १८११ मिती कार्तिक शुदी १५ पौर्णमायां तिथौ बुधवासरे लहानर नगर मध्ये....बाणीया वंशे नौरंग पुरीया लाला नवनिधिरायजी.... ५. सूरीश्वर अने सम्राट, पृ० २५४ 3 A Catalogue of Manuscripts in the Panjab Jain Bhandar's by Banurasi Das Jain Lahore. 1939 ग्रन्थ नं० ४० २. , , ग्रन्थ नं. ९१५ ३. , ,, प्रन्थ नं. ४६३ For Private And Personal Use Only
SR No.521585
Book TitleJain_Satyaprakash 1942 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1942
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size16 MB
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