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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री जिनप्रभसूरि-प्रबंध सं० अगरचंदजी नाहटा, सिलहट. चौदहवीं शताब्दी के शासनप्रभावक आचार्यों में श्रीजिनप्रभसूरिका स्थान सर्वोपरि है । आपन कुतबुद्दीन व महम्मद बादशाहको प्रभावान्वित किया था व “विविध तोर्थकल्प" जैसे अद्वितीय ग्रन्थरत्नों व स्तोत्रोंकी रचना की थी, जो जैनसमाजके लिये गौरवकी बात है। आपके संबंध पं० लालचंद भगवानदास गांधीने एक विशिष्ट निबंध लिखा था, जो लगभग छपकर तैयार भी हो चुका है । उसके अतिरिक्त 'जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास,' 'जैन स्तोत्र सन्दोह' एवं हीरालाल रसिकलाल सम्पादित ग्रन्थमें कुछ कुछ प्रकाश डाला गया है । प्राचीन साधनोंमें 'विविध तोथ कल्प'न्तर्गत कन्यानयनीय कल्पद्वय, उपदेश सप्ततिका' में जिनप्रभरिप्रबंध, 'पुरातन प्रबंध संग्रह' में प्रकाशित जिनप्रभसूरि प्रबंध' एवं हमारे ऐतिहासिक जैन काव्यसंग्रह' में प्रकाशित गीत आदि मुख्य हैं। - गत मार्गशीर्ष महिने में अहमदाबाद में श्रीजिनविजयजीसे मुलाकात होने पर ज्ञात हुआ कि उनके पास एक अप्रकाशित 'वृद्धाचार्य प्रबंधावली २ है जो खरतरगच्छके आचार्योंके संबंध है । मैंने उस प्रतिको बडी उत्कंठासे देखी तो उसमें सब प्रबंध प्राकृतमें थे, वह प्रति १७वीं शताब्दीके पूर्वार्द्धकी लिखित ८ पत्रकी है । उसमें १ वर्धमानसूरि,३ २ जिनेश्वरसरि, ३ अभयदेवरि, ४ जिनवल्लभसरि, ५ जिनदत्तसूरि, ६ जिनचंद्रसूरि, ७ जिनपतिसूरि, ८ जिनेश्वरसरि, ९ जिनसिंहसूरि और १० जिनप्रभस्वरि ये १० प्रबंध हैं, उनमेंसे शेषके तीन प्रबंध जिनप्रभसूरि व उनके गुरु श्रोजिनसिंहमूरि संबंधी हैं, वे यहाँ प्रकाशित किये जाजे हैं। आशा है इतिहास प्रेमीयोंको ये प्रबंध बहुत कुछ नवीन ज्ञातव्य उपस्थित करेंगे। श्री जिनसिंहसूरि-प्रबंध जिनपतिसूरिपट्टे नेमिचंद्रभंडारी जिणेसरमृरिणो पिया संजायो। तस्स दो सीसा संजाया, एगो सिरिमाली जिनसिंहरसूरि बीओ ओसवालो जिणप्पबोहसूरि । अन्नया जिणेसरसरि पल्हूपुरे नियपोसहसालाए उवविट्ठो संतो, १ इसकी तीन प्रतियें बीकानेर भंडारमें हैं । उनके आधारसे नकल कर मैने इस ग्रंथमें छपनेके पूर्व पं० लालचंद भ. गांधीको भेजी थी। २ इसकी अन्य एक प्रति श्रीहरिसागरसरिजीके पास भी थी। ३ इसी पत्रके अगले अंकमें प्रकाशित । For Private And Personal Use Only
SR No.521533
Book TitleJain Satyaprakash 1938 07 SrNo 36
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1938
Total Pages46
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size22 MB
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